श्रीलंका में मंहगाई के कारण हाय तौबा है। दरअसल, श्रीलंका अपने सबसे खराब वित्तीय संकट का सामना कर रहा है। देश का विदेशी मुद्रा भंडार लगभग खाली हो चुका है और चीन सहित कई देशों के कर्ज तले दबा श्रीलंका दिवालिया होने के कगार पर है। जनवरी में श्रीलंका का विदशी मुद्रा भंडार 70% घटकर 2.36 अरब डॉलर रह गया। विदेशी मुद्रा की कमी के कारण श्रीलंका भोजन, दवा और ईंधन सहित सभी जरूरी सामानों को विदेशों से आयात नहीं कर पा रहा है। लोग सोने के भाव में अपनी रोजमर्रा की चीजें खरीदने को मजबूर है।
श्रीलंका में रसोई गैस की भारी किल्लत हो गई है जिसके कारण एक हजार बेकरियों को बंद करना पड़ा है। हफ्ते की शुरुआत में एक इंडस्ट्री एसोसिएशन ने जानकारी दी कि देश में विदेशी मुद्रा भंडार की कमी के कारण गैस नहीं मिल पा रहा है इस कारण बेकरियों को बंद करना पड़ा है। देश में ईंधन की कमी के कारण कई बिजली संयंत्रों को भी बंद करना पड़ा है। लोगों को जरूरत के घंटों में बिजली की कटौती का सामना करना पड़ रहा है। बिजली दिन में सात घंटे से अधिक वक्त तक गायब रहने लगी है।
इसको लेकर एन.के. सीलोन बेकरी ओनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष जयवर्धने ने बताया कि कुछ शहरी क्षेत्रों में रसोई गैस की कमी के कारण ब्रेड की कीमतें दोगुनी होकर लगभग 150 श्रीलंकाई रुपये (0.75 डॉलर) हो गई हैं। अगर यही स्थिति एक और सप्ताह तक बनी रहती है तो 90% बेकरियों को बंद करना होगा। कई बेकरों ने कर्ज लिया है, वे उन्हें चुका नहीं पाएंगेय़ सरकार को तत्काल कोई उपाय निकालना चाहिए।' श्रीलंका के लगभग हर गांव और कस्बे में एक बेकरी मिल ही जाती है। बेकरियों के बंद होने और ब्रेड की कीमतें बढ़ने का असर गरीब लोगों की कमर तोड़ रहा है।
गैस की कमी का असर छोटे रेस्तरां और लोगों पर भी गंभीर रूप से हो रहा है। आपूर्ति न होने से कई गैस खुदरा विक्रेताओं ने अपना बिजनेस बंद कर दिया है। कुकिंग गैस रिटेल आउटलेट की मालिकों का कहना है कि आम तौर पर हमें हर दो दिन में लगभग 100 गैस के कनस्तर मिलते हैं। पिछले सोमवार से हमें गैस का एक भी कनस्तर नहीं मिला है। ब्रेड श्रीलंका के गरीब परिवारों और श्रमिकों के भोजन का महत्वपूर्ण हिस्सा है। वो भी सही तरीके से उपलब्ध नहीं हो पा रहा है।