अमेरिकी हाउस स्पीकर नैंसी पेलोसी की यात्रा के बाद बौखलाया चीन बार-बार ताइवान को आंख दिखा रहा है। पिछले एक हफ्ते में कई बार ताइवान एयर स्पेस का उल्लंघन करने वाली चीनी सेना अपने पड़ोसी देश को लगातार डराने का काम कर रही है। वैसे भी चीन का किसी एक देश के साथ विवाद नहीं है बल्कि कई सारे देशों के साथ है। खासकर जो उससे सीमा साझा करते हैं। चीन ताइवान को अपना बताता है और इन दिनों तो उसपर कब्जा करने के लिए किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार है। चीन तीब्बत को अपना कहता है, भूटान को अपना कहता है, नेपाल के कुछ हिस्सों को अपना कहता है, मंगोलिया के हिस्सों पर कब्जा कर चुका है। भारत में अरुणाचल प्रदेश और लद्दाख को लेकर दोनों देशों के बीच तनाव जारी है, भारत में चीन की दाल नहीं गली यहां भारतीय जवानों ने ड्रैगन को ऐसा सबक सिखाया की उसका जख्म आज भी भरा नहीं है। उधर समुद्री क्षेत्रों की बात करें तो ये वियतनाम, इंडोनेशिया, मलेशिया, जापान संग अन्य देशों के समुद्री क्षेत्रों पर भी अपना दावा करता है। ताइवान ने दावा किया है कि, वो लगातार घुसपैठ कर रहा है।
पिछले एक हफ्ते में कई बार ताइवान एयर स्पेस का उल्लंघन करने वाली चीनी सेना लगातार डरा रही है। ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने शुक्रवार को दावा किया कि उसने अपने एयर डिफेंस जोन में चीन के 24लड़ाकू विमानों और छह जहाजों को डिटेक्ट किया है। चीन की ओर से यह हरकत उसकी सेना की ओर से बड़े पैमाने पर सैन्य अभ्यास को रोकने के दो दिन बाद की गई है। नैंसी पेलोसी की ओर से चीन की इच्छा के खिलाफ जाकर ताइवान की यात्रा करने के बाद बीजिंग ने स्व-शासित द्वीप पर कब्जा करने की धमकी देते हुए बड़े पैमाने पर सैन्य अभ्यास शुरू किया था। अपने ताकतवर लड़ाकू विमानों को भी अभ्यास में उतार दिया था। हालांकि, बुधवार को ने चीन सैन्य अभ्यास खत्म करने का ऐलान कर दिया।
चीन की ओर से कहा गया है कि, पीएलए के ईस्टर्न थिएटर कमांड ने ताइवान के आसपास हालिया अभ्यास के दौरान विभिन्न मिशनों को सफलतापूर्व पूरा कर लिया है। वह ताइवान जलडमरूमध्य में नियमित तौर पर गश्ती करेगी। हालांकि, चीन की ओर से सैन्यभ्यास रोके जाने के बाद भी ताइवान हाई अलर्ट पर हैं। क्योंकि, दगाबाजी और झूठ ड्रैगन के रग-रग में समाया हुआ है।
इसके साथ ही चीन की ओर से ताइवान पर हमले की धमकी फिर से दी गई है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा, 'स्वतंत्रता के लिए बाहरी ताकतों के साथ मिलीभगत और उकसावे में आने से ताइवान केवल अपनी तबाही को न्यौता देगा और उसे शह देने वालों का भी जल्द खात्मा हो जाएगा। ताइवान की आजादी का उनका सपना कभी पूरा नहीं होगा और राष्ट्रीय हितों पर कुठाराघात करने का कोई भी प्रयास पूरी तरह विफल हो जाएगा।