ताइवान को लेकर चीन आक्रमक हो चुका है। चीन का कहना है कि ताइवान उसका हिस्सा है और उसे वो हर हाल में अपने में मिलाकर रहेगा। लेकिन, ताइवान का कहना है कि वो अपनी आजादी के लिए अंत तक लड़ेगा। उधर ताइवान को अमेरिका पूरा साथ मिला हुआ है। इसके साथ ही ताइवान की महिला राष्ट्रपति साई इंग बेन के चलते दुनिया के शक्तिशाली देश चीन की नींद उड़ी हुई है। चीन की तमाम धमकियों के बाद भी उनपर कोई असर नहीं पड़ रहा है। चीन को लगा कि, वो धमका कर ताइवान को तोड़ देगा। लेकिन, ऐसा कुछ नहीं हुआ। यहां तक कि, ताइवान की राष्ट्रपति ने तो एक बार तो चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के पत्र को कूड़ेदान में डाल दिया था। वेन अपने कड़क लहजे के लिए जानी जाती हैं। साई इंग वेन हमेशा ताइवान की पहचान पर जोर देती रही हैं। कोरोना के खिलाफ जंग में उन्होंने जो कदम उठाए उसकी दुनियाभर में तारीफ हुई। कोरोना को लेकर ताइवान के मॉडल की हर तरफ चर्चा हुई।
चीन की ओर से की जा रही सैन्यभ्यास और धमकियों के बीच को अड़िग खड़ी हैं और ताइवान के लोकतंत्र को बचाने के लिए संघर्ष कर रही हैं। हाल ही में ताइवान दौरे पर आई अमेरिकी संसद की प्रतिनिधि सभा की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी ने भी बेन के जज्बे की तारीफ की थी। चीन ताइान को वन चाइना नीति के तहत अपना हिस्सा बताता है। इन चुनौतियों के बीच ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग-वेन देश की केंद्र बिंदु बनी हुई हैं। 2020के चुनाव में जीत में चीन के खिलाफ उनके रुख की अहम भूमिका रही। वेन हमेशा ताइवान की पहचान पर जोर देती रही हैं। उन्होंने साफ कर दिया है कि चीन के साथ भविष्य के संबंधों के केंद्र में लोकतंत्र होगा। चीन लगातार ताइवान को धमकी देता रहा है।
बता दें कि, नैंसी पेलोसी के ताइवान यात्रा से चीन चीढ़ा हुआ है। पेलोसी ने अपनी इस यात्रा पर यह साफ कर दिया कि, अमेरिका किसी भी कीमत पर अब ताइवान का साथ नहीं छोड़ेगा। उनकी इस यात्रा को चीन ने उकसावा बताया और इसी के बाद ताइवान के आसपास के छह क्षेत्रों में मिसाइल दागने समेत सैन्य अभ्यास शुरू कर दिया था। उसने धमकी भी दी कि अगर जरूरत पड़ी तो ताइवान पर बलपूर्वक कब्जा जमा लेगा। लेकिन, चीन की धमकियों से ताइवान डरने वाला नहीं है। ताइवान फोर्सेस ने भी अपनी तैयारी पूरी कर ली है।