यूक्रेन पर हमले के बाद से ही रूस लगातार आगे बढ़ रहा है और एक-एक शहरों पर कब्जा जमा रहा है। इस बीच चीन भी एक्टिव हो गया और ताइवान पर हमला करने के लिए उग्र हो रहा है। इसके साथ ही चीन ने अमेरिका को खुली धमकी दी है कि, अगर वह ताइवान को लेकर बीच में आया तो उसे भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। चीन ने ऐसा तब कहा है जब मंगलवार को ही अमेरिकी अधिकारियों का दल ताइवान की राजधानी ताइपे पहुंचा है। चीन ने कहा है कि, अगर अमेरिका ताइवान की आजादी का समर्थन करता है तो उसे भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वेन वेनबिन ने कहा है कि ताइवान के लिए अपने तथाकथित समर्थन का प्रदर्शन करने के लिए किसी को भी भेजने के अमेरिकी कोशिश बेकार है। हम अमेरिका से एक-चीन के सिद्धांत का पालन करने के लिए कहते हैं।
बता दें कि, अमेरिक को ताइवान में यूक्रेन जैसे हमले की आशंका सता रही है। बीते कुछ महीनों में ड्रैगन ने अपनी सैन्य तैयारियां तेज कर दी हैं। यहां तक की ताइवान की सीमा के अंदर भी लगातार चीनी लड़ाकू विमान घुसपैठ कर रही हैं। इसके साथ ही चीनी युद्धपोत ताइवान की जलसीमा में भी कई बार दाखिला हो चुका है। ऐसे में अमेरिका की टेंशन बढ़ गई है और मंगलवार को यूएस ने ताइवान में अपना एक दल भेजा।
अमेरिका के ज्वाइंट चीफ्ट ऑफ स्टाफ के पूर्व अध्यक्ष माइकल मुलेन समेत पांच सदस्यों का दल ताइपे पहुंचा। इस दल का ताइवान के विदेश मंत्री जोसेफ वू ने स्वागत किया। ये दल दो दिन में राष्ट्रपति साई इंग वेन समेत दूसरे अधिकारियों से मुलाकात करेगा। अमेरिका ने ये दल ताइवान के साथ समर्थन जताने के लिए भेजा है। वहीं, अमेरिका के पूर्व विदेश मंत्री माइक पोम्पियो भी मंगलवार को चीन पहुंचे।
अमेरिका का कहना है कि ताइवान की रक्षा करना उसकी प्राथमिकता है। वह इसके लिए प्रतिबद्ध है, यही बात चीन को खटकती है कि वो ताइवान को छोड़ दे और ड्रैगन इसपर अपना कब्जा जमा ले। चीन ने अमेरिका को धमकी देते हुए कहा है कि, अगर अमेरिका ताइवान की आजादी को बढ़ाने की कोशिश करता है तो हम उसे चेतावनी देना चाहेंगे कि इससे केवल ताइवानी की आजादी चाहने वालों का नुकसान होगा। अमेरिका को अपने जोखिम भरे कामों लिए भारी कीमत चुकानी होगी।