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Taliban का नया दुश्मन पाकिस्तान, Ex ISI Chief फैज अहमद जनरल बाजवा के लिए बने मीर जाफर ‘हक्कानी’ को दे रहे सहारा

अफगान तालिबान, पाकिस्तान का दुश्मन क्यों बना!

अफगान तालिबान और पाकिस्तान फौज में दुश्मनी शुरू हो चुकी है। तालिबान ने टीटीपी के खिलाफ एक्शन से इंकार कर दिया तो पाकिस्तानी एयरफोर्स ने अफगानिस्तान के भीतर एयर स्ट्राइक कर दी और टीटीपी के आतंकियों के नाम पर सैकड़ो निर्दोष नागरिकों, महिला औह बच्चों को मौत के घात उतार दिया। कहा जा रहा है कि तालिबान की हक्कानी गुट आईएसआई के पूर्व चीफ फैज हामिद के कैंप में है। वो वही करता है जो आज भी फैज हामिद कहता है। इस समय दिक्कत ऐसी आगई है कि आर्मी चीफ बाजवा अफगान तालिबान टीटीपी और फैज हामिद के बीच फंस कर रह गए हैं। आईएसआई के मौजूदा चीफ नदीम अंजुम तालिबान पर काउंटर अटैक करवा रहे हैं। तालिबान के हमलों का और कोई जवाब फिल्हाल नही मिल रहा है।

अफगानिस्‍तान में तालिबानी शासन राजनीतिक, आर्थिक और भूरणनीतिक चुनौतियों का सामना कर रहा है। हालात इतने खराब हैं कि देश में जहां आए दिन भीषण धमाके हो रहे हैं, वहीं आम जनता भुखमरी की कगार पर पहुंच गई है। गत 29 अप्रैल को काबुल में सुन्‍नी मस्जिद में हुए भीषण धमाके में कम से कम 50 लोग मारे गए। इससे पहले गुरुवार को मजार-ए- शरीफ इलाके में श‍िया मुस्लिमों पर हुए बम हमले में कम से कम 9 लोग मारे गए थे।इन हमलों के पीछे आतंकी गुट आईएसआईएस के हाथ बताया जा रहा है जिसने तालिबान के खिलाफ ऐलान-ए-जंग कर रखा है। तालिबानी सरकार को न केवल आईएसआईएस के से चुनौती मिल रही है, बल्कि अहमद मसूद और पूर्व उपराष्‍ट्रपति अमरुल्‍ला सालेह के नेतृत्‍व वाले नैशनल रजिस्‍टेंस फ्रंट (NRF) से भी कड़ी चुनौती मिल रही है। इसके अलावा अफगानिस्‍तान फ्रीडम फ्रंट, अफगानिस्‍तान इस्‍लामिक नैशनल एं‍ड लिबरेशन मूवमेंट के नाम से भी पिछले कुछ समय में नए गुट बने हैं। ये सभी या तो एनआरएफ की मदद से या फिर खुद से तालिबान आतंकियों से लोहा ले रहे हैं। इन्‍हीं गुटों में अब लेफ्टिनेंट जनरल सामी सादात भी शामिल हुए हैं जो अशरफ गनी सरकार में अफगान स्‍पेशल फोर्सेस के प्रमुख थे।

हक्‍कानी नेटवर्क फैज हामिद के ऐक्‍शन पर रिएक्शन नहीं कर रहा है जिसके पास अफगानिस्‍तान का गृह मंत्रालय है। इसी हक्‍कानी नेटवर्क को फैज हामिद ने ही पाल रखा है। इससे आईएसआईएस के अफगानिस्‍तान में अपनी पकड़ मजबूत कर रहा है। इससे विश्‍लेषकों का कहना है कि अफगानिस्‍तान एक बार फिर से जंग की ओर बढ़ता दिख रहा है। इन विरोधी गुटों के अलावा पाकिस्‍तान तालिबान के लिए बड़ी चुनौती बन गया है। पाकिस्‍तान ने तालिबान की मदद करके उसे सत्‍ता दिलाई थी लेकिन अब दोनों के बीच जंग जैसे हालात हैं। तालिबान टीटीपी के खिलाफ ऐक्‍शन नहीं ले रहा है और इससे पाकिस्‍तान खफा है। यही नहीं सीमा रेखा डूरंड लाइन को लेकर भी दोनों के बीच तनाव है।

अहमद मसूद के नेतृत्‍व वाला एनआरएफ अब इस तनाव का फायदा उठाने की तैयारी में है। बताया जा रहा है कि अमेरिका के कुछ अधिकारियों ने एनआरएफ के नेताओं से ताजिकिस्‍तान में मुलाकात की है ताकि भविष्‍य में तालिबान के खिलाफ प्रतिरोध आंदोलन की संभावना पर चर्चा की जा सके। यह बैठक ऐसे समय पर हुई है जब रूस और चीन ने तालिबान को इन विरोधी गुटों के खिलाफ मदद की इच्‍छा जताई है। पाकिस्‍तानी हवाई हमले से यह भी साफ हो गया है कि पाकिस्‍तानी सेना प्रमुख जनरल बाजवा रूस और चीन से इतर तालिबान की अब मदद नहीं करने जा रहे हैं।

अफगान तालिबान पर अपने ही किसी शख्स का हाथ देख कर नदीम अंजुम और जनरल बाजवा बहुत परेशान हैं लेकिन अभी तक कोई निदान नही निकला है।