अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना के वापस जाने के बाद से देश में तालिबानी की सत्ता है। जिसके बाद वो लोगों के साथ मनमानी रुप से पेश आ रहे है। न सिर्फ आम लोगों से बल्कि अपने ही सदस्यों से भी कड़ा रूख अपना रहा है। इस कड़ी में तालिबान सरकार ने उन सदस्यों की पहचान करने के लिए एक आयोग बनाया जो कट्टरपंथी इस्लामिक आंदोलन के नियमों का उल्लंघन कर रहे है। इस व्यापक निरीक्षण प्रक्रिया के तहत तालिबान ने करीब 3 हजार सदस्यों को बर्खास्त किया है। इन सभी पर इस्लामिक आंदोलन से जुड़ी अपमानजनक प्रथाओं का आरोप है।
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इस मामले को लेकर रक्षा मंत्रालय में पैनल के प्रमुख लतीफुल्ला हकीमी ने बताया कि, ये लोग इस्लामिक अमीरात को बदनाम कर रहे थे। इसलिए इस पुनरीक्षण प्रक्रिया में उन्हें हटा दिया गया ताकि भविष्य में एक बेहतर सेना और पुलिस फोर्स का निर्माण किया जा सके। उन्होंने बताया कि अब तक 2840 सदस्यों को बर्खास्त किया जा चुका है। ये लोग भ्रष्टाचार, ड्रग्स और लोगों के निजी जीवन में घुसपैठ की कोशिश कर रहे थे। इसके अलावा उनके दाएश के साथ लिंक भी थे। आंदोलन के सर्वोच्च नेता हिबतुल्ला अखुंदजादा के एक माफी के आदेश के बावजूद तालिबान लड़ाकों पर पूर्व सुरक्षा बल के सदस्यों की एक्सट्रा ज्यूडिशियल किलिंग का आरोप लगा है।
जिहादी समूह के क्षेत्रीय संगठन कट्टरपंथी इस्लामी प्रशासन के लिए एक बड़ी सुरक्षा चुनौती के रूप में उभरे हैं, जो अक्सर काबुल और अन्य शहरों में बंदूक और बम हमलों में अधिकारियों को निशाना बनाते हैं। हकीमी ने कहा कि जिन सदस्यों को बर्खास्त किया गया है वे 14 प्रांत सें हैं और अन्य प्रांतों से भी ऐसे लोगों को बाहर निकालने की प्रक्रिया जारी है। अफगानिस्तान में तालिबान जब से सत्ता में आया है तब से उसने महिलाओं की आजादी पर कई तरह के प्रतिबंध लगा दिए हैं। इनमें सार्वजिनक सेवाओं में कार्यरत महिलाओं पर रोक लगा दी गई है। जबकि कई सेकेंडरी स्कूल को लड़कियों के लिए बंद कर दिया गया है।