पाकिस्तान में इस वक्त चीन अपने कई सारे प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है जिसमें से एक है CPEC जिसकी रफ्तार धीरे हो गई है। चीन सरकार जो इस प्रोजेक्ट को लेकर जो उम्मीद थी वो चकनाचूर हो गई है। दरअसल, पाकिस्तान में जितने भी चीन के नागरिक काम कर रहे हैं उनके जान का कोई ठिकाना नहीं है कि कब चली जाए। चीन और पाकिस्तान की मिलीभगत के चक्कर में बलूचिस्तान और ग्वादर के लोगों की जिंदगी तहस-नहस हुई पड़ी है। ग्वादर में चीन पोर्ट बना रहा है और बलूच में रेल नेटवर्क बढ़ा रहा है। ऐसे में आम लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। जिसके बाद यहां के लोगों ने चीन के खिलाफ आवाज उठानी शुरू कर दी है। चीनी नागिरकों के पाकिस्तान छोड़ने पर नई सरकार टेंशन में आ गई है और वो चीनी के शरण में जा पहुंचे हैं।
खबर है कि, पाकिस्तान के पीएम शाहबाज शरीफ और चीन के प्रधानमंत्री ली क्विंग के बीच कई मुद्दों पर बात हुई। दोनों की बातों पहली बार टेलीफोन के जरिए हुई हैं। इस बातचीत के दौरान दोनों देशों का मुख्य फोकस पाकिस्तान में काम करने वाले चीनी नागरिकों की सुरक्षा और 60 अरब डॉलर की चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) परियोजनाओं को तेजी से पूरा करने पर रहा।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शरीफ ने अपने सदाबहार दोस्त को भरोसा दिलाया है कि, चीन के लोग पाकिस्तान में सुरक्षित रहेंगे। उन्होंने कहा कि, सभी चीनी संस्थाओं और नागरिकों के लिए पाकिस्तान में सुरक्षा की व्यवस्था होगी और कराची बम धमाके जैसी घटनाओं को रोकने के लिए हर संभव प्रयास किए जाएंगे। इस पर चीन ने इस घटना में शामिल अपराधियों को जल्द से जल्द सजा देने के लिए कहा है।
बता दें कि, पाकिस्तान के कराची यूनिवर्सिटी के बाहर बीते महीने हुए एक धमाके में 3 चीनी लैंग्वेज टीचर की मौत हो गई जिसके बाद से ही यहां रहे रहे चीनी नागरिकों में डर बैठ गया और वो पाकिस्तान छोड़ चीन वापस जाने लगे। इसी के बाद पाकिस्तान की नई सरकार में खलबली मच गई और वो चीन के शरण में घुटने टेकने पहुंच गए। चीन का ये 60 अरब डॉलर वाला प्रोजेक्ट चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के जरिए बनाया जा रहा है। जिसपर भारत ने विरोध जताया है।