दुबई में दुनिया की सबसे ऊंची इमारत बुर्ज खलीफा (Burj Khalifa) का 200 मीटर हिस्सा अब भी खाली है। इस इलाके में किसी को भी रहने की अनुमति नहीं है। बुर्ज खलीफा के 71 फीसदी हिस्से में ही लोग रहते हैं। समुद्र के किनारे बसे इस खूबसूरत इमरात जब 2010 में बनकर तैयार हुई तो दुनियाभर के अमीरों के बीच इसमें घर, दफ्तर केलिए जगह लेने की गोड़ मच गई थी। इसे देखने के लिए भारी संख्या में पर्यटक भी आते हैं। 830 मीटर की ऊंचाई वाली इस इमारत में हजारों लोग रहते हैं।
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बुर्ज खलीफा लक्जरी घरों, अत्याधुनिक मनोरंजन स्थलों और यहां तक कि आउटसाइड स्विमिंग पूलों से भरा हुआ है। लेकिन, इसकी डिजाइन के कारण इस विशाल गगनचुंबी इमारत का एक बड़ा हिस्सा पूरी तरह से निर्जन पड़ा हुआ है। बुर्ज खलीफा में 200 से अधिक फ्लोर हैं, लेकिन इनमें से सिर्फ 160 मंजिल ही लोगों के रहने लायक हैं। इस बिल्डिंग का 200 मीटर का हिस्सा इतना पतला है कि इसे किसी के रहने के लिए नहीं डिजाइन किया जा सकता है। इसके साथ ही उचाईं के चलते इसमें रहने वाले लोगों को रमजान के दौरान अलग नियम का पालन करना पड़ा है। ऊंचे फ्लोर पर रहने वालों को रमजान के दौरान निर्देश दिया जाता है कि वो जमीन पर रहने वालों की तुलना में दो मिनट बाद में अपना उपवास तोड़ें। क्योंकि, बुर्ज खलीफा में ऊंचाई पर रहने वाले लोग दो मिनट बाद तक सूर्य को देख सकते हैं।
बुर्ज खलीफा का लगभग एक तिहाई हिस्सा खाली रहने के बाद भी इसकी एक अलग समस्या है। इस इमारत का सीवेज सिस्टम दुबई के वेस्टवाटर सिस्टम से कनेक्ट नहीं है। जिसके चलते, हर दिन ट्रों का एक काफिला बुर्ज खलीफा के नीचे आता है और एक जगह इकट्ठा हुए सीवेज को अपनी टंकियों में भरकर ले जाता है।
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लगभग 35000 लोगों का निवास स्थान यह इमारत हर दिन 15 टन सीवेज को प्रोड्यूस करती है। इस गगनचुंबी इमारत के लिए एक नया सीवेज सिस्टम विकसित करने की योजना पर काम चल रहा है, लेकिन इसके 2025 से पहले पूरा होने की उम्मीद नहीं है।