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China को टक्कर देगा इंडिया! America के इस अखबार ने की भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रमों की सराहना

अमेरिका (America) के सबसे प्रतिष्ठित अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स (एनवायटी) ने इंडिया के अंतरिक्ष कार्यक्रमों की सराहना की। एनवायटी ने इस बारें में बोला है कि इंडिया वर्तमान में लगभग 140 स्टार्टअप का घर बन चुका है भारत जल्द ही चीन को टक्कर दे सकता है। एनवायटी ने अपनी बात में आगे कहा है कि इंडिया ने जब 1963 में पहली बार अपना रॉकेट लॉन्च कर दिया था, तब भारत दुनिया का सबसे पिछड़ा और गरीब देश माना जाता था। रॉकेट को साइकिल पर रखकर लॉन्च पैड तक ले जाया गया था। लेकिन आज इंडिया ने अंतरिक्ष कार्यक्रमों में बहुत ही ज्यादा मजबूती हासिल की। अखबार ने द सरप्राइजिंग स्ट्राइवर इन द वर्ल्ड्स स्पेस बिजनेस नाम से प्रकाशित लेख में बोला है कि भारत कम से कम 140 पंजीकृत अंतरिक्ष तकनीकी स्टार्टअप का घर बन गया है।

स्टार्टअप की वृद्धि बेहद उल्लेखनीय रही है

न्यूयॉर्क टाइम्स अखबार ने ‘विश्व के अंतरिक्ष व्यवसाय में आश्चर्यजनक प्रयासकर्ता’ शीर्षक से छपे लेख में कहा है कि भारत में कम से कम 140 पंजीकृत अंतरिक्ष-प्रौद्योगिकी स्टार्ट-अप हैं, जिसमें ‘एक स्थानीय अनुसंधान क्षेत्र भी शामिल है और यह इस क्षेत्र में व्यापक बदलाव ला सकता है। लेख में कहा गया है, ‘‘स्टार्टअप की वृद्धि बेहद उल्लेखनीय रही है और उनके पास एक बड़ा बाजार भी है।’’ ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ (एनवाईटी) ने भारत के एक ‘वैज्ञानिक शक्ति के केंद्र के रूप में’ उभरने के महत्व को रेखांकित किया और इस क्रम में राष्ट्रपति जो बाइडन के निमंत्रण पर पिछले महीने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की वाशिंगटन की राजकीय यात्रा और दोनों पक्षों द्वारा जारी संयुक्त बयान का हवाला दिया, जिसमें कहा गया है कि दोनों नेताओं ने ‘अंतरिक्ष सहयोग के सभी क्षेत्रों में नयी सीमाओं तक पहुंचने का मार्ग प्रशस्त कर दिया है’।

अब China को टक्कर देगा इंडिया

अखबार ने कहा कि अमेरिका (America) और भारत दोनों ‘अंतरिक्ष को ऐसे क्षेत्र में रूप में देखते हैं, जिसमें भारत उनके परस्पर प्रतिद्वंद्वी चीन को बराबर की टक्कर दे सकता है। ‘‘भारत का एक लाभ भू-राजनीतिक है।’’ उसने कहा कि रूस और चीन ने ऐतिहासिक रूप से प्रक्षेपणों के लिए कम लागत के विकल्प दिए हैं। एनवाईटी ने कहा, ‘‘लेकिन यूक्रेन में युद्ध ने एक प्रतिस्पर्धी के रूप में रूस की भूमिका समाप्त कर दी है।’’ लेख में कहा गया है, ‘‘इसी तरह अमेरिकी सरकार के किसी भी अमेरिकी कंपनी के चीन के मुकाबले भारत के जरिए सैन्य श्रेणी की प्रौद्योगिकी भेजने को मंजूरी देने की संभावना अधिक है। एनवाईटी के लेख में हैदराबाद स्थित ‘स्काईरूट एयरोस्पेस’ और एयरोस्पेस निर्माता ‘ध्रुव स्पेस’ का भी उल्लेख है। इसमें बेंगलुरु के स्टार्ट-अप पिक्सल का भी जिक्र है जिसने ‘पेंटागन के साथ काम करने वाली एक खुफिया एजेंसी से करार’ किया है। इसके सह-संस्थापक अवैस अहमद और क्षितिज खंडेलवाल हैं।

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अमेरिका (America) ने भारत को ‘नवोन्मेष का एक संपन्न केंद्र’ और ‘दुनिया में सबसे प्रतिस्पर्धी प्रक्षेपण स्थलों में से एक’ माना गया है। न्यूयॉर्क टाइम्स में कहा गया है कि अंतरिक्ष-प्रौद्योगिकी स्टार्ट-अप उद्यम पूंजी निवेशकों के लिए भारत के ‘सबसे अधिक मांग वाले क्षेत्रों’ में से एक है और उनकी वृद्धि ‘बेहद उल्लेखनीय’ रही है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने ‘‘बेंगलुरु, हैदराबाद, पुणे तथा अन्य जगहों पर समूहों में करीब 400 निजी कंपनियां बनायी और प्रत्येक कंपनी अंतरिक्ष के लिए विशेष स्क्रू, सीलेंट और अन्य उत्पाद बनाने के लिए समर्पित है’’। अखबार ने कहा कि भारत के पास बहुतायत में किफायती इंजीनियर हैं, लेकिन उनकी कम तनख्वाह अकेले इस प्रतिस्पर्धा को मात नहीं दे सकती। इसके कारण स्काईरूट जैसी भारतीय कंपनी विशेष सेवाओं पर अधिक ध्यान केंद्रित कर रही है।