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Pak तालिबान ने किया बलोच लिब्रेशन आर्मी और आजाद सिंधु देश का समर्थन, पाक फौज की जान हलक में, सुनें Podcast

TTP supports BLA

एक तरफ जहां इस बात की चर्चा है कि तालिबान टीटीपी और पाकिस्तान सरकार के बीच मध्यस्थता कर रहा है। तालिबान ने पहली बार औपचारिक तौर पर कहा है कि वो दोनों पक्षों के बीच शांति के प्रयास कर रहा है। वहीं दूसरी ओर ये खबरें भी आ रही हैं कि टीटीपी ने बलोचिस्तान लिब्रेशन आर्मी और सिंधु देश लिब्रेशन आर्मी को सशस्त्र समर्थन का ऐलान कर दिया है। टीटीपी के इस ऐलान से पाकिस्तान सरकार और पाकिस्तान फौज दोनों की हालत खराब है।

कहा जा रहा है कि तालिबान की मध्यस्थता में शुरू हुई बातचीत में टीटीपी ने पाकिस्तानी सेना की कैद से अपने 30 बड़े कमाण्डरों की तुरंत रिहाई की मांग कर डाली है। पाकिस्तान टीटीपी के इन कमाण्डरों को रिहा करने के मूड में नहीं हैं। तालिबान की मध्यस्थता में टीटीपी और पाकिस्तान सरकार की बातचीत काबुल में हुई।

अफगानिस्तान के प्रवक्ता ज़बीहुल्ला मुजाहिद ने ट्विटर पर कहा कि इस्लामिक अमीरात ऑफ अफगानिस्तान की मध्यस्थता में पाकिस्तानी सरकार और तहरीक-ए- तालिबान पाकिस्तान के बीच काबुल में बातचीत हुई है। मुजाहिद ने दावा किया है कि अस्थायी संघर्ष विराम पर सहमति बनी है। दोनों पक्षों ने वार्ता के दौरान संबंधित मुद्दों पर अहम प्रगति की है।

टीटीपी के प्रवक्ता ने भी कहा कि तालिबान सरकार बातचीत में मध्यस्थ की भूमिका निभा रही है। आतंकवादी समूह के प्रवक्ता ने यह भी कहा कि टीटीपी ने मेहसूद जिरगा भी बुलाई थी जिससें 32 लोग शामिल थे और फिर मलकंद जिरगा बुलाई थी जिसमें 16 लोग थे। टीटीपी ने ईद उल फित्र के मौके पर 10 दिन के संघर्षविराम का ऐलान किया था जिसके बाद बातचीत की नई प्रक्रिया शुरू हुई। संघर्षविराम को पांच और दिनों के लिए बढ़ा दिया गया था।

समूचे पाकिस्तान में शरिया कानून लागू करने की चाहत रखने वाले आतंकवादी समूह ने कहा कि संघर्ष विराम महीने भर के लिए लागू रहेगा। टीटीपी और पाकिस्तान सरकार के बीच पिछले साल नवंबर में शुरू की गई थी लेकिन विभिन्न कारणों से दोनों पक्षों को कामयाबी नहीं मिल सकी थी।

ऐसा बताया जा रहा है कि पाकिस्तान की ओर से प्रतिनिधि मण्डल का नेतृत्व फैज हामिद ने किया। यह फैज हामिद वही हैं जो नदीम अंजुम से पहले आईएसआई चीफ थे। फैज को यह भी गुमान है कि वो ही पाकिस्तानी फौज के अगले चीफ जनरल होंगे। इसलिए वो टीटीपी के साथ हुई वार्ता को सफल भी बताने की कोशिश कर रहे हैं। जबकि सच्चाई यह है कि इस समझौते के बीच ही पाकिस्तान में हुए धमाकों में की फौजी जान गंवा चुके हैं।