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पाकिस्तान से अलग हो गया FATA यानी मलकंद पर अब TTP की हुकूमत, शरिया लागू, सुरक्षा चौकियों पर टीटीपी के लड़ाके

मलकंद में पाकिस्तान नहीं अब TTP की हुकूमत!

पाकिस्तानी फौज ने आतंकी गिरोह तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्‍तान (TTP) के सामने सरैंडर कर दिया है। खैबर पख्तूनख्वा के मलकंद में पाकिस्तानी सरकार या सेना का शासन नहीं चलेगा। मलकंद में अब टीटीपी का राज होगा। मलकंद में महसूल भी टीटीपी के तालिबान वसूल करेंगे। पाकिस्तान फौजे मलकंद को पूरी तरह खाली कर देंगी। मलकंद की हिफाजत मलकंद के लड़ाके ही करेंगे। ठीक वैसे ही जैसे तालिबान अफगानिस्तान में कर रहा है। अफगान तालिबान की मध्यस्थता से हुए सरैंडर समझौते को कबूल करना पाकिस्तान सरकार और फौज के लिए मजबूरी था। अगर पाकिस्तान सरकार इस सरैंडर समझौते को कबूल नहीं करती तो टीटीपी ने इस्लामाबाद के पार्लियामेंट हाउस पर अपना परचम फहराने का अल्टीमेटम दे दिया था।

ध्यान रहे, यह वही टीटीपी है जिसने पेशावर के सैनिक स्कूल में निर्दोष बच्चों का खून बहाया था। हालांकि, टीटीपी ने कहा है कि यह समझौता तब तक पूरा नहीं माना जाएगा जब तक कि पाकिस्तानी जेलों में बंद टीटीपी के लड़ाकों को आजाद नहीं किया जाएगा। इसी समझौते के साथ मलकंद में पाकिस्तानी कानून की जगह शरिया अदालतें लगेंगी।

यहां यह भी खास बात है कि पाकिस्तान में खैबर पख्तूनख्वाह ही एक ऐसा स्टेट है जहां इमरान खान की पार्टी सत्ता में है। खैबर पख्तूनख्वाह के मुख्य मंत्री महमूद खान ने इमरान खान के लॉंग मार्च और प्रदर्शनों के दौरान अल्टीमेटम दिया था कि अगर शहबाज शरीफ की पुलिस और सेना उनका रास्ता रोकेंगी तो खैबर पख्तूनख्वाह की असलहबंद पुलिस उनका मुकाबला करेगी। मतलब यह कि खैबर पख्तूनख्वाह की स्टेट गवर्नमेंट ने पाकिस्तान की फेडरल गवर्नमेंट के खिलाफ बगाबत का खुला ऐलान पहले ही कर दिया है।

बहरहाल, अफगान तालिबान की मध्यस्थता में हुए समझौते की एक शर्त यह भी है पाकिस्तान की जेलों टीटीपी के सभी लड़ाके बाइज्जत बरी किए जाएंगे। मतलब यह कि अब पाकिस्तान की किसी भी अदालत में टीटीपी के आतंकियों के खिलाफ कोई मुकदमा नहीं चलेगा। यह भी समझा जा रहा है कि पेशावर स्कूल में आतंकी वारदात को अंजाम देने वाले टीटीटी के लड़ाके भी बाइज्जत बरी कर दिए जाएंगे। गहराई से देखा जाए तो कागजों पर खींची गई लाइनों में खैबर पख्तूनख्वाह का मलकंद इलाका भले ही पाकिस्तान में दिखाया जाए लेकिन अब वो अफगानिस्तान के हिस्से की तरह काम करेगा। मलकंद में बाजौर, बुनेर, अपर चित्राल, लोअर चित्राल, अपर दीर, लोअर दीर, सांगला और स्वात इलाके आते हैं। अब इन पर टीटीपी और शरिया का कानून ही चलेगा।

पाकिस्तान सरकार के थिंक टैंक का कहना है कि अफगान तालिबान को साधने के लिए टीटीपी के साथ यह समझौता बहुत जरूरी था। टीटीपी को भी उनको एक इलाके में ही समेट दिया गया है। इसीके साथ 14 साल से चले आ रहे टेररिज्म की आग में जल रहे पाकिस्तान को कम से कम एक तरफ से तो राहत मिलेगी। हालांकि, पाकिस्तान के पूर्व आर्मी अफसर और मातहतों में बेहद नाराजगी है। इस सरैंडर समझौते का असर बलूच फ्रीडम फाइटर्स को कितना मोटिवेट करेगा। पाकिस्तान के थिंक टैंक के सामने यह भी एक सवाल है। बलूचिस्तान में हिंसा का नया दौर शुरू हो सकता है। टीटीपी और बलूच फ्रीडम फाइटर्स में कुछ दिन पहले पाकिस्तान पर हमलों को लेकर समझौता भी हुआ था। आशंका यह व्यक्त की जा रही है कि टीटीपी अपने लड़ाके और हथियार बलूच फ्रीडम फाइटर्स को ट्रांस्फर कर सकते हैं। टीटीपी का सपना पूरे पाकिस्तान पर शरिया नाफिज करने का है।