पाकिस्तान में अब एक नई आफत शुरू हो गई है और इसकी जड़ खुद पाकिस्तान ही है। दरअसल, जब पाकिस्तान ने आतंकियों को जन्म देना शुरू किया तो उसे अंदाजा भी नहीं था कि एक दिन यही आतंकी खुद उसके लिए ही नासून बन बैठेंगे। भारत के खिलाफ आतंक फैलाने के लिए इन आतंकियों को पाकिस्तान ने जन्म दिया लेकिन, अब यही आतंकी पाकिस्तान में जेहादियों का मिनी स्टेट बनाने चाहते हैं। इसे लेकर पाकिस्तान की आर्मी की टेंशन बढ़ गई है। जिसके बाद कहा जा रहा है कि, बाजवा मुल्क को गृहयुद्ध की ओर ले कर जा रहे हैं।
आथंकी संगठन TTP पाकिस्तान में बनाना चाहता है जिहादियों का मिनी स्टेट
यह आतंकी संगठन कोई और नहीं बल्कि तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) है जो पाकिस्तान में जिहादियों का मिनी स्टेट बनाना चाहता है। TTP पर पाकिस्तान में 83 हजार लोगों की हत्या का आरोप है और इस वक्त पाकिस्तानी आर्मी के साथ इसके डील को लेकर बवाल मचा हुआ है। टीटीपी ने पाकिस्तान आर्मी से तीन मांगें रखी है। टीटीपी का कहना है कि, उसे हथियार रखने, सेना को बनाए रखने और जिन क्षोत्रों में उसका नियंत्रण है, वहां व्यापक स्वायत्तता दी जाए। पाकिस्तानी सेना ने देश की संसदीय समिति के सामने कहा है कि वह इन तीनों ही मांगों को नहीं मानेगी। उधर, टीटीपी के सरगना ने पिछले दिनों चेतावनी दी थी कि ये तीनों ही मांगें उनके लिए रेड लाइन है और वे इससे समझौता नहीं करेंगे। पाकिस्तानी विशेषज्ञ आयशा सिद्दकी का कहना है कि असली समस्या समझौता करना नहीं है, बल्कि पाकिस्तान सेना के टीटीपी वाले इलाके से हटने पर उसे लागू करने में है।
परमाणु हथियारों से लैस TTP बाजवा फौज के सामने खड़ा करना चाहता है अपनी सेना
बता दें कि, पाकिस्तानी आर्मी प्रमुख जनरल बाजवा ने इस डील को न्यायसंगत ठहराने के लिए दावा कर रहे हैं कि टीटीपी आतंकी आईएसकेपी और भारत की रॉ से हाथ मिला सकते हैं। अब पाकिस्तान के आतंकी बगावत पर उतर आए तो इसमें भी उसे भारत का हाथ नजर आ रहा है। पाकिस्तानी विशेषज्ञ बाजवा के इस तर्क से समहत नहीं हैं और उनका कहना है कि, टीटीपी आतंकी परमाणु हथियारों से लैस पाकिस्तान में एक अलग जिहादी देश बना सकते हैं जिसकी अपनी निजी सेना होगी।
पाकिस्तानी विशेषज्ञ आयशा सिद्दकी ने कहा है कि, पाकिस्तान का अनुभव रहा है कि TTP पूरी तरह से विचारधारा से जुड़ा हुआ है। वो अपने इलाके का इस्तेमाल पाकिस्तानी सेने के हटने पर भविष्य में अपने हमले करने के लिए लॉन्चपैड के रूप में कर सकता है। उधर पाकिस्तान के वरिष्ठ पत्रकार हामिद मीर का कहना है कि टीटीपी ने हथियार रखने और अपने उग्रवादी संगठन के ढांचे को बर्बाद करने से इंकार कर दिया है। उन्होंने सवाल किया है कि क्या एक परमाणु हथियारों से लैस देश अपने क्षेत्र में निजी सेना के अस्तित्व को अनुमति दे सकता है? उन्होंने कहा कि पाकिस्तान सरकार टीटीपी के आगे झुकते हुए ऐसे आतंकियों को छोड़ रही है जिन्होंने देश के हजारों लोगों की जान ली है। उन्होंने यह भी कहा कि, पाकिस्तान सरकार इन आथंकियों को इस उम्मीद पर छोड़ रही है ताकि उसका टीटीपी के साथ एक शांती समझौता हो जाए।
83 हजार लोगों का हत्यारा टीटीपी के साथ बाजवा समझौता करने के लिए बेताब
हामिद मीर का कहा है कि, जिस आतंकी संगठन टीटीपी ने 83 हजार लोगों की पाकिस्तान में हत्या की है पाकिस्तानी सेना उसी के साथ समझौते के लिए बेताब है। उन्होंने कहा कि, यह जंग बहुत लंबी खींच गई है और यही वजह है कि पाकिस्तानी नेता अब शांति समझौता चाहते हैं लेकिन आतंकियों से बातचीत ठीक नहीं होगा। उन्होंने कहा कि टीटीपी अपने सहयोगी अफगान तालिबान की काबुल पर जीत से काफी प्रभावित है। सुपर पावर अमेरिका पर तालिबान की जीत से टीटीपी का हौसला काफी बढ़ा हुआ है। मीर ने चेताया कि शहबाज सरकार टीटीपी के जिन आतंकियों को छोड़ रही है, वे आगे चलकर पाकिस्तान के खिलाफ ही हमला कर सकते हैं। यही तालिबान ने अशरफ गनी सरकार के खिलाफ किया था।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि, पूर्व पीएम इमरान खान खान भी टीटीपी के साथ समझौते के लिए बेताभ थे। उन्हें उम्मीद थी कि टीटीपी के साथ डील करके वो सत्ता में बने रहेंगे। उन्होंने कहा कि, अगर अफगानिस्तान से सटे इलाके पर टीटीपी का पूरा कब्जा हो जाता है तो इससे कोई शांति नहीं आएगी। उन्होंने कहा कि, टीटीपी अगर हथियार नहीं छोड़ता है तो यह पाकिस्तान को गृहयुद्ध की ओर ले जाएगा।