जब पाकिस्तान ने आतंकवाद को जन्म दिया था तो उसे ये नहीं पता था कि एक दिन यही आतंकवाद उसी के गले की हड्डी बन जाएगा। और ये हड्डी ऐसी की न तो निगली जाएगी और न ही वो निकास सकता है। पाकिस्तान ने आतंकवाद को जन्म इसलिए दिया ताकि वो भारत के खिलाफ आतंक फैला सके। लेकिन, यही आतंकी उसे लिए अब नासूर बनते जा रहे हैं। अब तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) ने ऐलान कर दिया है कि, पाकिस्तान को वो अलग इस्लामिक देश बनाने जा रहा है। जिसके बाद पाकिस्तान की नई शाहबाज सरकार घबरा गई है।
दरअसल, TTP के आतंकियों ने पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के कबायली इलाके में शरिया कानूनी से शासित क्षेत्र बनाने की मांग और पाकिस्तान के खिलाफ जिहाद के ऐलान किया है। जिसके बाद नई सरकार टेंशन में आ गई है। इसके बाद शाहबाज सरकार पाकिस्तानी मौलानाओं का एक दल अफगानिस्तान भेज रही है। ये मौलाना टीटीपी आतंकियों और पाकिस्तान सरकार के बीच मध्यस्थता कर रहे तालिबानी गृहमंत्री सिराजुद्दीन हक्कानी से मुलाकात करेंगे। पाक सरकार चाहती है कि TTP शरिया कानून से शासित इलाका बनाने और जिहाद के ऐलान से पीछे हट जाए लेकिन, आतंकी अभी भी अपनी मांगों पर अड़े हैं।
एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, एक स्थानीय जिरगा टीटीपी को केवल सीजफायर के लिए मना सकी है। पाकिस्तान के 13 मौलाना अब काबुल जा रहे हैं। इसके प्रमुख मुफ्ती ताकी उस्मानी बताए जा रहे हैं और इसमें खैबर-पख्तूनख्वा इलाके के उलेमा भी शामिल किए जाएंगे जिनका हक्कानी नेटवर्क के साथ करीबी संबंध है। ये पाकिस्तानी उलेमा टीटीपी कमांडरों के साथ काबुल में बैठक करेंगे। पाकिस्तानी उलेमा सिराजुद्दीन हक्कानी की मदद लेंगे ताकि टीटीपी के साथ सीजफायर को और ज्यादा प्रभावी बनाया जा सके। ये प्रतिनिधिमंडल टीटीपी को यह मनाने की कोशिश करेगा कि वे आदिवासी इलाके को स्वायत्त इलाका बनाने की मांग को छोड़ दें जिसे पाकिस्तानी संसद ने एक प्रस्ताव पारित करके खैबर-पख्तूनख्वा प्रांत का हिस्सा बना दिया था।
TTP इस आदिवासी इलाके में अपनी 'इस्लामिक सरकार' बनाना चाहता है जहां वो पाकिस्तान के कानूनों से अलग शरिया कानून से शासन करेगा। इसके साथ ही इस इलाके से पाकिस्तानी सेना को भी हटना होगा। सिर्फ इतना ही नहीं, टीटीपी ने पाकिस्तान की सरकार के खिलाफ जिहाद छेड़ रखा है। पाकिस्तानी मौलाना अब टीटीपी को यह जिहाद बंद करने के लिए मनाने की कोशिश कर रहे हैं। इस बातचीत में सरकार और पाकिस्तानी सेना दोनों ही शामिल हैं।