इंग्लैण्ड के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन और जेलेंसकी के बयान को पश्चिमी मीडिया ने स्क्रीन तोड़ ब्रेकिंग न्यूज बनाकर दुनिया के सामने पेश किया। इसी ब्रेकिंग को इंडिया के खबरिया चैनलों ने उठा लिया और स्क्रीन तोड़ डाले। जेलेंसकी का बयान है कि रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने उनकी हत्या के लिए कीव में 400 स्पेशल एजेंट्स की घुसपैठ करवा दी है। कीव के लिए अगले 24 घण्टे बेहद खतरनाक हैं। जेलेंसकी का यह बयान टाइम्स में छपा है। इंडिया के खबरिया चैनलों ने रूस के कथित 400 एजेंट्स को उग्रवादी और आतंकवादी बनाकर पेश कर दिया है।
वहीं खबरों में रूस के साथ हो रहे पक्षपात का एक उदाहरण देखिए, रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने बयान जारी किया कि यूक्रेन की फौजे रूसी सैनिकों पर केमिकल हथियारों का इस्तेमाल कर रहा है। जब रूस के राष्ट्रपति पुतिन की न्यूक्लियर साइट विजिट की खबरें सुर्खियां बन सकती हैं। दुनिया को डर लगने लगता है। रूस-यूक्रेन जंग में एटम बम की दस्तक बताया जाने लगा है। ऐसा हो भी सकता है। यह खबर निश्चित तौर पर सुर्खियां बन सकती है। लेकिन वही पुतिन जब यह कहते हैं कि यूक्रेन की ओर से केमिकल वेपंस का इस्तेमाल हो रहा है तो उस बयान को भी उसी प्रमुखता से बार-बार दिखाया जाना चाहिए, जिस प्रमुखता से जेलेंसकी के दावों को बार-बार दिखाया जा रहा है। खास बात यह है कि पुतिन के बयान को पश्चिमी मीडिया ने प्रसारित-प्रकाशित ही नहीं किया है। रूस का नेशनल ब्रॉडकास्टर आरटीवी डॉट काम भारत में ओपन ही नहीं हो रही है।
ध्यान रहे, रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने एक बार स्वंय और दो बार भारतीय प्रधानमंत्री मोदी के आग्रह पर जेलेंसकी के सामने युद्धविराम प्रस्ताव रखा। तीनों बार जेलेंसकी शांति वार्ता की बात करने के बाद गायब हो गए। चौथीबार जब अमेरिका और इंग्लैण्ड की ओर से हरी झण्डी मिली तो बेलारूस बॉर्डर पर शांति वार्ता के लिए राजी हुए लेकिन जेलेंसकी के प्रतिनिधि वार्ता शुरू होने से पहले ही भाग खड़े हुए। बीती रात जेलेंसकी और जॉनसन में एक बार फिर बात हुई और जेलेंसकी ने फिर से पीस टॉक ज्वाइन करने का शिगूफा छोड़ा है।
बहरहाल, कीव से जो खबरें मिल रही हैं उनके मुताबिक रूस आज से कीव में जमीनी हमले शुरू करेगा। यूक्रेन और रूस मूल रूप से एक ही संस्कृति के देश हैं। रूस और यूक्रेन के लगभग हर तीसरे परिवार में एक व्यक्ति एक दूसरे देश का नागरिक है। जेलेंसकी टकराव के रास्ते से हटकर अगर रूस के साथ समझौते की कोशिश करते तो शायद बेहतर होता। समझौते के बाद भी अगर रूस आक्रामकता और आक्रांता का रुख अपनाता तो उसके खिलाफ सारी कार्रवाईयां जायज होतीं है। इस समय हो क्या रहा है- एक तरफ रूस है और दूसरी ओर पूरा यूरोप-अमेरिका और इंग्लैण्ड यूक्रेन के साथ हैं।
क्या किसीने सोचा है कि यूक्रेन या रूस के पड़ोसी देशों में पश्चिमी देशों का क्या हिता है? रूस को न्यूक्लियर हथियार उठाने के लिए क्यों उकसाया जा रहा है? क्या नैतिकता का तकाजा केवल रूस के लिए है? य़ूक्रेन, नाटो के लिए नहीं है? इन सब का परिणाम क्या होगा- चीन जो अब तक दूर खड़ा है, अगर वो रूस के साथ आ जाता है तो युद्ध का क्या स्वरूप होगा? भारत तटस्थ रहने की कोशिश कब तक कर पाएगा, या दुनिया के बाकी देश जो अब तक तटस्थ हैं वो कब तक तटस्थ रह सकेंगे? थर्ड वर्ल्ड वॉर हो गया तो क्या होगा? और उसमें न्यूक्लियर हथियार शामिल हो गए तो क्या होगा? दुनिया के विनाश का जिम्मेदार कौन होगा? अगर दुनिया को विनाश से बचाना है, यूक्रेन-रूस की जंग को रोकना है तो नाटो-अमेरिका-रूस-यूरोप सभी को संयम के साथ एक बार फिर विचार करना चाहिए। मीडिया को भी संयत-संयमित और तटस्थ समाचारों का प्रसारण करना होगा। एक पक्ष को विलेन और दूसरे को हीरो बनाने-दिखाने के बजाए जंग की आग को शांत करने वाले प्रयास करने चाहिए।