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Zelensky के दिन लदे, यूएन के मेंबर्स छोड़ने लगे साथ, यूक्रेन का अब क्या होगा

UN members started leaving Zelensky

रूस को यूक्रेन (Ukraine War) पर हमला बोले 6 महीने से ऊपर हो गया है। इतने दिनों में रूसी फौजों ने यूक्रेन के कई शहरों पर कब्जा कर लिया है। इसके साथ ही भारी बमबारी के चलते कई शहरों में तबाही मची हुई है। ये जंग रूक सकती थी लेकिन, जेलेंस्की (Zelensky) को हिरो बनने का शौक था। वो अपनी एक्टर वाली भूमिक जंग के मैदान में भी निभाते नजर आए। कभी जली हुई टैंकों के सामने फोटोशूट कराते नजर आए तो कभी संयुक्त राष्ट्र में पुतिन को आतंकी कहते हुए दुनिया की हमदर्दी बटोरने में लगे रहे। जबकि, जेलेंस्की (Zelensky) का काम ये था कि रूस के साथ बातचीत कर इस मुद्दे को सुलझाया जाए और अपनी जनता को इस भारी तबाही से बचाया जाए। लेकिन, वो पश्चिमी देशों के बहकावे में आकर अपनी जनता को मौत के कुएं में ढकेल दिए। अब आलम यह है कि जेलेंस्की (Zelensky) का साथ यूएन मेंबर्स भी छोड़ने लगे हैं।

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दरअसल, रूस की निंदा करने वाले नए प्रस्ताव में संयुक्त राष्ट्र के 193 सदस्य देशों में यूक्रेन को सिर्फ 58 देशों का समर्थन मिला है। ये समर्थ मार्च में महासभा में मिलने वाली संख्या से काफी कम है। ऐसे में जेलेंस्की के बुरे दिन शुरू हो गए हैं। इससे ये साबित हो जाता है कि अब दुनिया यूक्रेन के मुंह फेरना चाहिती है। आखिर कब तक वो यूक्रेन के चक्कर में खुद को बर्बाद करते रहेंगे। जेलेंस्की अगर पहले ही समझदारी दिखाते तो वो रूस के साथ समझौता कर इतनी बड़ी तबाही आने से रोक सकते हैं और दुनिया को इस युद्ध से पड़ने वाले असर को टाल सकते हैं।

बैठक के दौरान संयुक्त राष्ट्र में रूस की राजदूत वासिली नेबेंज़िया ने वीडियो टेली-कॉन्फ़्रेंस के ज़रिए यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदोमीर ज़ेलेंस्की के बैठक में हिस्सा लेने के संबंध में एक प्रक्रियात्मक वोट कराने का अनुरोध किया। इसके साथ ही उन्होंने यूक्रेनी अत्याचारों के सबूत पेश किया और साथ ही कीव के पश्चिमी समर्थकों को सहयोगियों के रूप में नामित कर काउंटर भी किया। सुरक्षा परिषद ने यूक्रेन की आज़ादी की 31वीं सालगिरह पर बीते छह महीने से जारी युद्ध की समीक्षा के लिए बुधवार को ये बैठक बुलाई थी।

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मार्च में रूसी सैन्य अभियान शुरू होने के बाद अब कीव का समर्थन करने से संयुक्त राष्ट्र के मेंबर्स अपना हाथ खिंचने लगे हैं। 2 मार्च के महासभा सत्र में, 141 सदस्य देशों (संयुक्त राष्ट्र के 73%) ने मास्को की निंदा करने के लिए एक गैर-बाध्यकारी प्रस्ताव के लिए मतदान किया। था लेकिन, इस सप्ताह हुए इसमें यूक्रेन को सिर्फ 30 फीसदी ही समर्थन मिला है। जिसमें कोई अफ्रीकी, फारस की खाड़ी या ब्रिक्स देश शामिल नहीं थे। यहां तक कि, केवल दो लैटिन अमेरिकी सरकारें, कोलंबिया और ग्वाटेमाला, यूक्रेन के साथ खड़ी थीं।