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Taiwan के लिए फोन पर ही भिड़ गए Biden और Xi Jinping! हालात बिगड़ रहे हैं, किसी भी समय शुरु हो सकती है नई जंग

Taiwan को लेकर अमेरिका और चीन फिर आमने सामने

चीन इतना बेशर्म और ढीढ देश है कि इससे कई सारे देश परेशान हैं। जो इससे अपनी सीमा साझा करते हैं वो तो ड्रैगन की हरकतों से उब चुके हैं। ताइवान, वियतनाम, फिलिपीन के अलावा कई और देश हैं जो चीन से परेशान है। चीन इनकी सीमाओं में घुसकर जबरन कब्जा करने की कोशिश करता है। ताइवान को तो पूरी तरह निगलना चाहता है। काफी समय से चीन पूरे ताइवान को अपने मिलाने की रणनीति बना रहा है। जिसे लेकर अमेरिका और चीन आमने सामने हैं। चीन का कहना है कि ताइवान उसका हिस्सा है और वो जब चाहेगा तब उसे मिला लेगा। इधर ताइवान का कहना है कि, उसकी अपनी आजादी है और चीन से अलग हो चुका है और वो उससे मिलना नहीं चाहता। इसपर अमेरिका का कहना है कि, अगर चीन ने ताइवान पर हमला बोला तो उसकी रक्षा वो करेगा। अब इसे लेकर दोनों देश फिर से आमने सामने हैं। जो बाइडन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की फोन पर बात हुई है जिसमें चीन ने कड़ा रुख अपनाया है। चीन की ओर से कहा गया है कि, ताइवान से अमेरिका दूर रहे।

अमेरिका और चीन के बीच ताइवान को लेकर करीब दो घंटे तक बातचीत चली। इस दौरान जिनपिंग ने ताइवान में अमेरिकी दखलअंदाजी को लेकर बाइडेन को सख्त चेतावनी दी। जिनपिंग ने कहा कि अमेरिका ताइवान के मुद्दे से दूर रहे। बताते चले कि, चीन लगातार अमेरिका का विरोध कर रहा है। इधर बीच अमेरिका के कई उच्च पद के अधिकारी ताइवान का दौरा कर चुके हैं जिससे चीन चिढ़ा पड़ा है। खासकर अमेरिकी कांग्रेस (संसद) के निचले सदन हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव की स्पीकर नैंसी पेलोसी के ताइवान यात्रा को लेकर जुबानी गतिरोध बढ़ गया है। चीन का कहना है कि, वह इस यात्रा को उकसावे की कार्रवाई के तौर पर देखेगा। एक रिपोर्ट की माने तो, जो बाइडन संग बातचीत में जिनपिंग ने इस द्वीप पर चीन के दावे पर जोर दिया है।

उधर चीनी विदेश मंत्रालय की ओर से बयान दिया गया है कि, जो लोग आग से खेलते हैं वे इससे नष्ट हो जाएंगे। उम्मीद है कि अमेरिका इस बारे में स्पष्ट होगा। व्हाइट हाउस ने अभी तक कॉल पर अपना विवरण जारी नहीं किया है। इससे पहले चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने बुधवार को पेलोसी की प्रस्तावित ताइवान यात्रा को लेकर चेतावनी दोहराई थी। उन्होंने कहा अगर, अमेरिका अपनी ही राह पर चलने के लिए जोर देगा और चीन के मूल मुद्दों को चुनौती देगा, तो निश्चित तौर पर मजबूत जवाब मिलेगा। इसके नतीजों की सभी जिम्मेदारी अमेरिका की होगी।