चीन (China) ने अपनी नौसेना को दुनिया की सबसे बड़ी नौसैनिक फौज बना ली है, उसने पिछले कुछ सालों में अपनी नौसेना की ताकत में कई गुना इजाफा किया है। दरअसल, चीन चाहता है कि वह पाकिस्तान, श्रीलंका और म्यांमार में अपने नौसैनिक अड्डे बनाए। इस दौरान अब चीन और ताइवान के बीच जारी तनाव के बीच ही अमेरिका (US) की नौसेना एक ऐसी घातक, तेज और खतरनाक मिसाइल को फिर से तैयार करने में लगी है जो दुश्मन के जहाज को पलक झपकते ही ढेर कर देगी। इस मिसाइल को लंबे समय तक अमेरिकी सेना का हिस्सा रही हारपून का ही एक नया वर्जन करार दिया जा रहा है।
वहीं एयर एंड स्पेस फोर्सेज मैगजीन की और से बताया गया है कि लॉकहीड मार्टिन ने यूएस नेवी की अगली पीढ़ी की एंटी-शिप मिसाइलों में से दो, लॉन्ग रेंज एंटी-शिप मिसाइल (LRASM) और इसके एयर-लॉन्च वेरिएंट को बनाने के लिए दूसरी प्रोडक्शन लाइन को शुरू कर दिया है। यह नई मिसाइल हवा से सतह पर मार करने वाली मिसाइल की ही नई रेंज होगी।
ये भी पढ़े: China की ललकार कहा-ताइवान की आजादी का मतलब युद्ध,तबाही से बढ़ेंगी दुनिया की मुश्किलें
ताइवान में होगी तैनाती
बता दें, जिस मिसाइल को अमेरिका तैयार करने में उसे काफी खतरनाक करार दिया जा रहा है। इन दो मिसाइलों का मकसद अमेरिका के जहाज-रोधी हथियारों, खासतौर पर हवा से लॉन्च किए गए हथियारों में स्पष्ट क्षमता के अंतर को दूर करना है। इससे दुश्मन को करारा जवाब दिया जायेगा। ऐसे में इस मिसाइल को तेजी से तैयार किया जा रहा है। इसका उद्देश्य मिसाइल स्टॉक को बढ़ाना है ताकि ताइवान में किसी संकट की स्थिति में इसे तुरंत तैनात किया जा सके।
नए फाइटर जेट में होगी फिट
अमेरिका टॉप डिफेंस फर्म लॉकहीड मार्टिन के साथ एक साल के लिए 500 LRASM और JASSM-ER मिसाइलों का उत्पादन होना था। लेकिन अब नई योजना के तहत इस संख्या को दोगुना यानी 1,000 यूनिट तक कर दिया गया है।
वारजोन की पिछले महीने की रिपोर्ट में बताया गया था कि अमेरिकी नौसेना ने रेथियॉन और लॉकहीड मार्टिन को 116 मिलियन डॉलर की कीमत वाले अलग-अलग कॉन्ट्रैक्ट सौंपे थे। इन कॉन्ट्रैक्ट्स के तहत हाइपरसोनिक एयर-लॉन्च एयर-ब्रीदिंग हाइपरसोनिक एंटी-शिप मिसाइल जिसे हाइपरसोनिक एयरलॉन्च्ड ऑफेंसिव एंटी-सरफेस (HALO) के तौर पर जाना जाएगा, उसे तैयार किया जाएगा। रिपोर्ट के मुताबिक साल 2026 में इस मिसाइल के टेस्टिंग की एक योजना बनाई गई है।
ये है पुरानी हारपून का नया वर्जन
HALO मिसाइल में एयर-ब्रीदिंग हाइपरसोनिक तकनीक का प्रयोग किया गया है। यह बताता है कि रॉकेट से चलने वाले बूस्ट-ग्लाइड हाइपरसोनिक हथियार डिजाइन अब पुराने पड़ चुके हैं। अमेरिकी वायुसेना ने फैसला किया है कि अब वह एयर लॉन्च्ड रैपिड रेस्पॉन्स वेपन (ARRW) को प्रयोग नहीं करेगी। इसकी जगह वायुसेना स्क्रैमजेट ऑपरेटेड हाइपरसोनिक अटैक क्रूज मिसाइल (HACM) के प्रयोग के पक्ष में है। हारपून मिसाइल शीत युद्ध के समय की है। कई दशकों से यह अमेरिकी नौसेना की पहले नंबर की एंटी-शिप मिसाइल रही है।