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अमेरिकी राष्ट्रपति Biden मान ली हार! रूस से क्यों की बातचीत की पेशकश, दुनिया भौंचक्क, जेलेंस्की हैरान- आखिर हुआ क्या देखें रिपोर्ट

Biden offer Talks before Russia-1

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के एक कदम से दुनिया भौचक्क है और यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की हैरान हैं। बाइडेन ने रूसी राष्ट्रपति से वार्ता की पेशकश कर दी है। 

इसी साल बीती 20 फरवरी को जैसे ही रूस ने यूक्रेन के खिलाफ ऑप्रेशन शुरू किया वैसे ही उसे एक यूक्रेन नहीं बल्कि 32 नाटो देश और अमेरिका से एक साथ मोर्चा लेना पड़ा। कहने का मतलब यह कि एक ओर रूस और दूसरी ओर 33 देश की सैन्य ताकत। अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन ने सोचा कि यूक्रेन की पीठ पर बंदूकें रख कर गोले बरसाते रहेंगे और रूस को कमजोर कर देंगे। रूस को घुटनों पर आने को मजबूर कर देंगे। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। रूस ने आपत्ति काल को अवसर बनाया और अमेरिका सहित नाटो और यूरोपीय देशों को झुकने पर मजबूर कर दिया।

यूक्रेन-रूस  के संगीन हालातों को देखते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने रूस के सामने वार्ता का प्रस्ताव कर दिया है। हालांकि वाशिंगटन ने इस वार्ता प्रस्ताव को ‘ए न्यू आर्म्स कंट्रोल फ्रेमवर्क’नाम दिया है। यह अमेरिका की ओर से रूस के साथ एक नई शुरूआत या स्ट्रेटेजिक आर्म्स रिडक्शन संधि है। जंग  हालात में सामान्य तौर पर ऐसे वार्ता या संधि प्रस्तावों एक तरह से अपनी ओर से युद्ध विराम की पुकार माना जाता है। नॉन प्रोलिफेरेशन ट्रीटी की रिव्यू कॉन्फ्रेंस के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन का रूस को वार्ता निमंत्रण को माना जा रहा है कि अमेरिका में यूक्रेन-रूस जंग को लेकर परिस्थितियां काबू से बाहर होती जा रही हैं। अमेरिकी जनमानस नाटो और अमेरिका को यूक्रेन-रूस की जंग में झौंकने वाले अपराधी के तौर पर देख रहा है। इस जंग के कारण बाइडेन की अपनी प्रतिष्ठा भी गिरी है।

अमेरिकी प्रेसिडेंट बाइडेन ने कहा कि 2026 में खत्म होने वाले न्यू आर्म्स कंट्रोल फ्रेमवर्क से पहले रूस के साथ विचार विमर्श करना जरूरी है। हालांकि उन्होंने कहा कि यह तभी संभव है जब सभी पक्ष अच्छी मंशा से इस विचार विमर्श में शामिल होने को राजी हों। बाइडेन ने रूस को वार्ता का निमंत्रण देने के साथ यह भी कहा कि यूक्रेन में मिलिट्री ऑपरेशन से रूस ने यूरोप की शांति को भंग कर दिया है। उन्होंने कहा इस संदर्भ में रूस को न्यूक्लियर आर्म्स कंट्रोल ट्रीटी पर अमेरिका के साथ काम करने की इच्छा दिखानी चाहिए।

बाइडेन के इस ऐलान का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह भी है कि अमेरिका ने न्यूक्लियर आर्म्स कंट्रोल ट्रीटी में चीन को भी शामिल करने को कहा है। उन्होंने कहा कि चीन पी-5 क्लब का मेंबर है इस नाते संदेहों को समाप्त करनेमें भूमिका निर्धारित करनी चाहिए।

अमेरिकी प्रेसिडेंट जो बाइडेन के प्रस्ताव को रूस ने कहा कि कोई भी वार्ता या संधि बिना शर्त ही स्वीकार होगी। वाशिंगटन वार्ता के प्रस्ताव संशोधनों के साथ भेजता है। इस बार चीन को वार्ता में चीन को शामिल करने की बात शामिल कर दी है। हालांकि चीन ने अमेरिका के प्रस्ताव को ठुकराते हुए कहा है कि वो यूएस-रशिया न्यूक्लियर आर्म्स कंट्रोल ट्रीटी में शामिल नहीं होगा। क्यों कि अमेरिका और रूस के परमाणू हथियारों के जखीरे के सामने चीन के न्यूक्लियर आर्म्स तो कुछ भी नहीं हैं।