अमेरिका आज जो रूस पर प्रतिबंध लगा रहा है और दुनिया को डरा रहा है कि वह पुतिन की मदद न करें तो। इसके पीछे असली वजह अमेरिका और नाटो ही रहा है। जब मिंस्क समझौते के मुताबकि यह तय हो गया था कि यूक्रेन नाटो में कभी भी शामिल नहीं होगा। तो भी अचानक से यूक्रेन के ऊपर नाटो में शामिल होने का भूत कहां से सवार हो गया। यूक्रेन ने तो डोनबास में इतना आतंक मचाया हुआ था कि यहां 15 हजार लोगों को मौत के घाट उतारा गया। अमेरिका और नाटो का प्लान था कि वह यूक्रेन को अपने हाथों में लेकर रूस पर दबाव बनाए और रूस को कंट्रोल कर सकें। ऐसे में यूक्रेन पर जंग की वजह पश्चिमी देश ही रहे हैं।
अमेरिका राष्ट्रपति इस वक्त दुनिया को धमका रहे हैं। उनका कहना है कि जो भी रूस की मदद किया वो उसे बरबाद कर देंगे। अब अमेरिकी राष्ट्रपति बाइजन ने चीन को धमकी देते हुए कहा है कि अगर उसने रूस की मदद की तो अंजाब भुगतने के लिए तैयार रहे। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और जो बाइडन के बीच हुई वार्ता उन दावों के बाद हुई है, जिसमें कहा गया था कि चीन रूस को सैन्य और आर्थिक मदद करने की कोशिश कर रहा है।
बाइडन ने शुक्रवार को अपने चीनी समकक्ष शी चिनफिंग को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि चीन यूक्रेनी शहरों पर भीषण हमले कर रहे रूस को मदद मुहैया कराने का फैसला करता है, तो बीजिंग के लिए इसके कुछ निहितार्थ और परिणाम होंगे। दोनों के बीच करीब 110 मिनट वीडियो कॉल के जरिए बातचीत हुई। बातचीत में अमेरिका-चीन संबंध, अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर भी चर्चा की गई। बाइडन ने रूस पर प्रतिबंध लगाने सहित उन उपायों के बारे में बताया, जिनका मकसद हमले रोकना और उनका जवाब देना है। व्हाइट हाउस के एक अधिकारी ने ये बताने से इनकार कर दिया कि अगर चीन रूस की मदद करता है, तो चीन को किन नतीजों को भुगतना पड़ेगा। चीन अब तक रूस की निंदा करने से बचता आया है।