विस्तारवादी चीन (China) पर लगाम लगाने के लिए अमेरिका अब भारत की राह पर चलते हुए बड़ा दांव खेलने के लिए एक्शन में आ गया है। इसके तहत अब सेमीकंडक्टर (Semiconductor Chip) का निर्माण अमेरिका में किया जाएगा और यूएस इस मामले में चीन पर से अपनी निर्भरता बिल्कुल खत्म करेगा। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के निर्देश पर शुक्रवार को सेमीकंडक्टर से जुड़े नए नियम जारी कर दिए गए।
चीन को टूल्स की बिक्री पर लगाया गया बैन
बाइडेन प्रशासन ने अमेरिकी सरकार के इस फैसले के बारे में शुक्रवार को जानकारी दी। प्रशासन के अधिकारियों ने बताया कि अमेरिकी टूलमेकर्स केएलए कॉर्प, लैम रिसर्च कॉर्प और एप्लाइड मैटेरियल्स इंक की ओर से भेजे गए टूल्स की मदद से चीन में सेमीकंडक्टर (Semiconductor Chip) का निर्माण किया जाता है। अब नए नियमों मे चीन (China) को इस तरह के टूल्स या चिप की बिक्री से पूरी तरह रोक दिया गया है। बाइडेन प्रशासन के सूत्रों के मुताबिक इस कदम से चीन में सेमी-कंडक्टर के निर्माण की गति धीमी होगी, जिसका असर वहां की अर्थव्यवस्था पर होगा।
ड्रैगन की पूरी 30 कंपनियां निगरानी में
सूत्रों के मुताबिक अमेरिका (USA) ने ‘ड्रैगन’ के खिलाफ एक और कड़ा कदम उठाते हुए उसकी मेमोरी चिप बनाने वाली टॉप-30 कंपनियों को एक खास लिस्ट में शामिल कर लिया है।असल में अमेरिका इन कंपनियों के संचालन की जांच करना चाहता है लेकिन चीन (China) इसकी इजाजत नहीं देता। इसलिए अमेरिकी सरकार ने इन 30 कंपनियों को अनवेरिफाइड लिस्ट में शामिल किया है। माना जा रहा है कि इस लिस्ट में शामिल होने वाली कंपनियों को अगले कुछ दिनों में ब्लैकलिस्ट किया जा सकता है।
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भारत ने पहले ही कर दी है पहल
खास बात ये है कि चीन (China) के खिलाफ अमेरिका (USA) जिन कदमों को अब उठाने की कोशिश कर रहा है, उनकी पहल भारत पहले ही कर चुका है। चीन के खिलाफ बने माहौल को देखते हुए मोदी सरकार ने भारत को दुनिया का सेमीकंडक्टर (Semiconductor Chip) हब बनाने की कोशिश शुरू कर दी हैं। इसके लिए ताइवान के सहयोग से देश में सेमी-कंडक्टर फैक्ट्रियां लगाने की कोशिश हो रही है। सरकारी सूत्रों के मुताबिक इस कदम से भारत सेमी-कंडक्टर के मामले में आत्मनिर्भर बन जाएगा, साथ ही चीन की इकोनॉमी को भी करारा झटका लगेगा।