भारत (India) और रूस के सम्बन्ध कई दशकों से अच्छे बने हुए हैं। लेकिन ड्रैगन को यह हज़म नहीं हो रहा था। इसी बीच अभी कुछ दिन पहले चीन पहुंच गया रूस यात्रा पर। भारत और रूस आर्थिक संबंधों को और गहरा करना चाहते हैं। मगर जब से चीन की एंट्री हुई है जब से ही भारत अलर्ट है। कुछ भारतीय और विदेशी जानकारों की मानें तो मार्च में जब से चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग का मॉस्को दौरा हुआ है तब से ही भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताएं बढ़ गई हैं।
क्यों बढ़ी India की टेंशन?
भारत (India) के विदेश मंत्री एस जयशंकर (S. Jaishankar) ने हाल ही में कहा कि देश रूस के साथ मुक्त व्यापार वार्ता को फिर से शुरू करने के लिए तैयार है। उनका कहना था, ‘हमारी साझेदारी आज ध्यान और टिप्पणी का विषय है, इसलिए नहीं कि यह बदल गया है, बल्कि इसलिए कि यह दुनिया में सबसे स्थिर है।’ पिछले दिनों भारत (India) आए रूस के उप प्रधानमंत्री डेनिस मंटुरोव ने कहा कि उनका देश भारत के साथ मुक्त व्यापार चर्चा में तेजी लाना चाहता है। ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन में अध्ययन और विदेश नीति के उपाध्यक्ष हर्ष वी पंत ने बताया कि रूस की कमजोर स्थिति के अलावा आर्थिक और रणनीतिक कारणों से चीन पर बढ़ती उसकी निर्भरता निश्चित रूप से भारत के लिए चिंताजनक होगी।
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पंत ने कहा कि बीजिंग और मॉस्को के बीच जो करीबी है, उसके कारण यह हर गुजरते दिन के साथ स्थिति और अधिक कठिन होती जा रही है। उनका मानना है कि भारत(India) पर दबाव बढ़ रहा है और वह निश्चित रूप से ऐसा होते नहीं देखना चाहेगा। उनका मानना है कि भारत संभावित रूस-चीन गठजोड़ से बचने की यथासंभव कोशिश करेगा। अगर ऐसा होता है तो इसके दूरगामी परिणाम होंगे और यह भारत की विदेश नीति और रणनीतिक गणना को मौलिक रूप से बदल देगा।
भारत रूस से सस्ता तेल खरीद रहा है
कुछ विशेषज्ञों की मानें तो भारत आज रूस से सस्ता तेल खरीद रहा है और यह सिर्फ इसलिए है क्योंकि इससे राष्ट्रीय हित जुड़ा हुआ है। हालांकि कुछ विशेषज्ञ इस बात को लेकर चिंता जाहिर करते हैं। उनका कहना है कि अब भारत-रूस के रिश्ते रणनीतिक साझेदारी से अलग अब लेन-देन के तौर पर कायम होते जा रहे हैं। जिस तरह से रूस ने चीन को गले लगाया है वह भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा जरूरतों के लिए ठीक नहीं है।