भारत के फैसले से चीन नाखुश है। दरअसल, भारत ने सोमवार को 54 चीनी ऐप्स को बैन कर दिया। इनमें से कुछ ऐप्स ऐसे भी शामिल थे जो नाम बदलकर चीन ने फिर से भारत में रिलॉन्च किए थे। भारत सरकार के इस फैसले पर चीनी सरकार ने कहा है कि ये राजनीति से प्रेरित है और ऐप बैन कर भारत सरकार ने खुद को ही नुकसान पहुंचाया है। चीन ने ऐप बैन की टाइमिंग पर सवाल उठाते हुए लिखा है- 'यह ध्यान देने वाली बात है कि इस कदम की घोषणा ऐसे समय की गई है जब भारत के विदेश मंत्री हाल ही में क्वाड सम्मेलन में भाग लेने के बाद ऑस्ट्रेलिया की अपनी यात्रा से लौटे हैं।
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चीनी सरकार का मुखपत्र समझे जाने वाले अखबार ग्लोबल टाइम्स की एक रिपोर्ट में कहा गया कि इसमें कोई रहस्य जैसी बात नहीं है कि अमेरिका के नेतृत्व वाला क्वाड नेटवर्क सिस्टम सहित कई क्षेत्रों में चीन को निशाना बना रहा है। चीनी टेक और टेक फर्मों की सुरक्षा को खतरे में डालकर अमेरिका दुनिया में अपना आधिपत्य बनाए रखने के लिए चीन के विकास को रोकना चाहता है। चीनी ऐप्स को बैन करने का ये कदम पूर्ण रूप से राजनीतिक है और इसका विपरीत प्रभाव चीनी कंपनियों पर नहीं बल्कि भारत पर ही पड़ेगा। ऐसे कदम उठाकर भारत सरकार ये भूल रही है कि उसका विकास चीन के बिना संभव नहीं है।'
इस रिपोर्ट में दोनों देशों के बीच 2021 में रिकॉर्ड द्विपक्षीय व्यापार का उदाहरण दिया गया। रिपोर्ट में कहा गया कि अगर भारत एक मजबूत अर्थव्यवस्था वाला देश बनना चाहता है तो चीन के साथ सहयोग करे। चीन के खिलाफ अमेरिका का साथ देकर भारत खुद को ही संकट में डाल रहा है। चीन के वाणिज्य मंत्रालय के प्रवक्ता ने भी भारत द्वारा ऐप्स को बैन किए जाने पर प्रतिक्रिया दी है। चीनी वाणिज्य मंत्रालय के प्रवक्ता गाओ फेंग ने सम्मेलन में कहा- 'हमें उम्मीद है कि भारत द्विपक्षीय आर्थिक और व्यापार सहयोग की मजबूत विकास गति को बनाए रखने के लिए ठोस कदम उठाएगा।' फेंग ने कहा कि भारत को चीनी कंपनियों सहित सभी विदेशी निवेशकों के साथ पारदर्शी और गैर-भेदभावपूर्ण तरीके से व्यवहार करना चाहिए। भारत सरकार सुरक्षा के मद्देनजर साल 2020 से अब तक 270 से ज्यादा चीनी ऐप्स को बैन कर चुकी है।