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निकल गई शहबाज की हेकड़ी! पाकिस्‍तानी विशेषज्ञों ने कहा-भारत संग उलझने में नहीं बल्कि दोस्‍ती में भलाई?

पाकिस्‍तान विशेषज्ञों ने दी शहबाज को नसीहत

पाकिस्तान (Pakistan) की आज के समय में ऐसी हालत हो गई है जिसके आगे खाई और पीछे कुआं है, लेकिन अपनी ऐसी हालत करने वाला पाकिस्तान खुद है। पाकिस्तान पर कंगाली इस कदर छाई हुई है कि अब वो दर-दर कि ठोकरें खा रहा है और सबके सामने कटोरा लेकर भीख मांग रहा है। दरअसल, पाकिस्तान के ऊपर दूसरे देशों के इतने कर्ज हैं कि उसे पूरा करने में ही उसे कई वर्ष लग जाएंगे। इसके साथ ही अब देश में रोज की दैनिक जरूरतों को पूरा करने वाले सामानों तक की भारी कमी आ पड़ी है। मुल्क में न तो आटा है और न ही दाल, प्याज। लोग सड़कों पर उतर आए आये हैं। ऐसे में अब शहबाज सरकार को अक्ल आने लगी है कि, भारत से पंगा लेकर कितना बड़ा नुकसान उन्हें हुआ है।

वहीं अभी बीते दिनों पाकिस्‍तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने जापान के दौरे पर कहा है कि दक्षिण एशिया में शांति तब तक नहीं कायम हो सकती है, जब तक कि कश्‍मीर मसला हल नहीं हो जाता है। पाकिस्‍तान से निकलने वाले साप्‍ताहिक अखबार फ्राइडे टाइम्‍स के एक आर्टिकल के मुताबिक बिलावल और पीएम शहबाज शरीफ लंबे समय तक भारत को नजरअंदाज नहीं कर सकता है। आर्टिकल के मुताबिक मई 2023 में बिलावल भारत आए तो जून में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका के दौरे पर गए।

भारत की आर्थिक तरक्‍की

गोवा में शंघाई को-ऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन (SCO) देशों के विदेश मंत्रियों का एक सम्‍मेलन मई के महीने में भारत के राज्‍य गोवा में हुआ था। इस सम्‍मेलन में ही हिस्‍सा लेने के लिए बिलावल भारत आए थे। फ्राइडे टाइम्‍स के मुताबिक क्षेत्र में जिस तरह से नए समीकरण बन रहे हैं जो अर्थव्‍यवस्‍था की वास्तविकताओं, भू-राजनीति और रणनीतिक साझेदारियों पर आधारित हैं, उसके बाद पाकिस्‍तान के लिए लंबे समय तक भारत को नजरअंदाज करना मुश्किल है। आर्टिकल में लिखा है कि भारत अब दुनिया की पांचवीं सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्‍यवस्‍था है।

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कायम होगी क्षेत्र में शांति

इस आर्टिकल में यह भी लिखा है कि दोनों देशों के लिए लंबे समय से चले आ रहे कश्मीर के मुद्दे पर नजर डालना भी जरूरी है। अखबार के मुताबिक यह मुद्दा भारत और पाकिस्तान के बीच विवाद का केंद्र बिंदु रहा है। साल 2019 में भारत ने जब अनुच्‍छेद 370 को हटाया तो तनाव और बढ़ बया। दूसरी ओर अफगानिस्‍तान में भी भारत का प्रभाव बढ़ रहा है। अखबार का मानना है कि अमेरिका के साथ भारत की बढ़ती निकटता क्षेत्र में जटिलता को बढ़ाती हैं। अमेरिका, भारत को चीन का मुकाबला करने में एक महत्वपूर्ण भागीदार के रूप में देखता है। दोनों देशों के बीच लॉजिस्टिक्स एक्सचेंज मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट (LEMOA) और कम्युनिकेशंस कम्पैटिबिलिटी एंड सिक्योरिटी एग्रीमेंट (COMCASA) जैसे विभिन्न सहयोग समझौते हुए हैं।

पाकिस्तान को इस साझेदारी के रणनीतिक फायदों को पहचानना होगा। साथ ही उसे उभरते भू-राजनीतिक परिदृश्य के बीच अपने हितों की रक्षा के लिए भारत के साथ रणनीतिक रूप से जुड़ने की जरूरत है। बिलावल भुट्टो और पीएम मोदी के दौरो ने पाकिस्तान को भारत के लिए अपने दृष्टिकोण को फिर से बदलने की जरूरत सामने ला दी है। भारत की आर्थिक श्रेष्ठता, कश्मीर में उसके एक्‍शन, अफगानिस्तान में बनते नए समीकरण, अमेरिका के साथ बढ़ती उसकी करीबी और चीन चीन के साथ पाकिस्तान की रणनीतिक साझेदारी के खिलाफ आते कुछ देश, पाकिस्तान-भारत संबंधों में सुधार की सख्‍त जरूरत है।