कोरोना के केस लगातार बढ़ते जा रहे है। ऐसे में लोगों से हाथों को सैनिटाइज करने और चेहरे पर मास्क लगाने के लिए कहा जा रहा है। बावजूद इसके कुछ बिना मास्क के घूमते हुए नजर आते है। अगर अब कोई भी बिना मास्क के नजर आता है, तो उसपर नहीं बल्कि पुलिस पर कार्रवाई की जाएगी। जी हां, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने पुलिस वालों के लिए कुछ ऐसा ही फरमान सुनाया है। कोर्ट ने कहा है कि सरकार दो या तीन हफ्तों के पूर्ण लॉकडाउन पर विचार करे। सड़क पर कोई भी व्यक्ति बिना मास्क के दिखाई न दे। अगर कोई बिना मास्क के दिखाई देता है, तो पुलिस के खिलाफ अवमानना कार्रवाई की जाएगी।
कोर्ट ने कहा है कि सामाजिक धार्मिक आयोजनों में 50 से ज्यादा लोगों के इकट्ठा होने पर पाबंदी लगाई है। इसके अलावा, शहरों में खुले मैदानों को अस्थायी अस्पताल बनाकर कोरोना पीड़ितों के इलाज की व्यवस्था करने के लिए कहा है। ये सब कोर्ट ने स्वत: कायम जनहित याचिका की सुनवाई के तहत कही। सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा और न्यायमूर्ति अजित कुमार की बेंच ने कहा है कि नाइट कर्फ्यू या कोरोना कर्फ्यू संक्रमण फैलाव रोकने के छोटे कदम है। ये नाइट पार्टी ,नवरात्रि या रमजान में धार्मिक भीड़ रोकने तक ही सीमित हैं।
कोर्ट ने कहा कि लॉकडाउन लगाना सही नहीं है, लेकिन जिस तरह से संक्रमण फैल रहा है, उसे देखते हुए सरकार को शहरों में लॉकडाउन लगाने पर विचार करना चाहिए। संक्रमण को फैले एक साल बीत रहा है, लेकिन इलाज की सुविधाओं को बढ़ाया नहीं जा सका। कोर्ट ने कहा कि नदी में जब तूफान आता है तो बांध उसे रोक नहीं पाते। फिर भी हमें कोरोना संक्रमण को रोकने के प्रयास करने चाहिए। गैर जरूरी यातायात को नियंत्रित किया जाए। जीवन रहेगा तो दोबारा स्वास्थ्य लाभ ले सकेंगे।