आज से रमजान शुरू हो चुके है। कोरोना काल के बीच पड़े इस रमजान के महीने में एक सवाल लोगों के बीच दुविधा बनकर घूम रहा है कि क्या कोरोना वैक्सीन लगवाने से कही रोजा टूट तो नहीं जाएगा। महामारी से लड़ने के लिए कोरोना टीकाकरण अभियान चल रहा है। ऐसे में लोगों में रमजान के बीच वैक्सीन को लेकर कई सवाल उठ रहे है। इन सभी सवालों का मुस्लिम धर्मगुरुओं और दारुल इफ्ता ने जवाब दिया। इसके जवाब में दारुल ने फतवा भी जारी कर दिया।
दारूल इफ्ता फरंगी महल ने अपने फतवे में कहा- 'अगर रोजे से है और कोरोना का टीका लगवाते है तो रोजा नहीं टूटेगा, इसलिए रमजान के महीने में रोजे की हालत में वैक्सीन ली जा सकती है। कोरोना टीके की दवा इंसानी बदन की रगों में दाखिल होती है, पेट के अंदर नहीं, इसलिए इसके लगवाने से रोजा नहीं टूटेगा। मुसलमानों को केवल रोजे की वजह से कोविड-19 का टीका लगवाने में देर नहीं करनी चाहिए। दरअसल, मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के नागरिक अब्दुर्रशीद किदवाई ने दारूल इफ्ता से ये सवाल किया था।
अब्दुर्रशीद किदवाई ने अपने सवाल में कहा- 'कोविड-19 जैसी भयानक बीमारी इस समय अपने चरम पर है. इससे बचाव के लिए वैक्सीन इंजेक्शन के माध्यम से दी जा रही है। इसकी दो खुराकें दी जायेगी। हमने कई दिन पहले इसकी पहली खुराक ली है। दूसरी खुराक रमजान में दी जायेगी, आपसे मालूम ये करना है कि क्या रोजे की हालत में वैक्सीन ली जा सकती है?' इस सवाल के जवाब में दारूल इफ्ता फरंगी महल ने फतवा जारी किया और इस फतवे पर मौलाना खालिद, मौलाना रशीद, मौलाना नसरूल्लाह, मौलाना नईमुर्रहमान सिद्दीकी और मौलाना मुहम्मद मुश्ताक के दस्तखत किए।