पाकिस्तान में एक बार फिर से मुस्लिम न होने की वजह से एक आम नागरिक को उनकी क्रूरता का सामना करना पड़ा है। दरअसल, एक बैंक कर्मचारी को ईसाई होने के कारण नौकरी से निकाल दिया गया है। वसीम मकबूल नाम का यह बैंक कर्मचारी सेल्स व इनकम टैक्स रिटर्न्स संबंधी विभाग का इन्चार्ज था। कुछ दिन पहले फेडरल बोर्ड ऑफ रेवेन्यू ने उसके खिलाफ पड़ताल की और फिर नौकरी से निकाल दिया। अब उसने न्याय के लिए कैथलिक चर्च जस्टिस कमीशन में अपील की है।
खबरों की माने तो नेशनल बैंक ऑफ पाकिस्तान ने वसीम मकबूल पर किसी वसीम शहजाद के साथ FBR यूजर आईडी और पासवर्ड शेयर करने का आरोप लगाया था। साल 2018 में इस वसीम शहजाद ने आत्महत्या कर ली थी। 18 मार्च को FBR ने अपने पत्र में लिखा 'उसने (वसीम मकबूल) फर्जी क्रेडिट वाउचर पास किया, जिसमें सही लाभार्थी के बदले अन्य खातों में क्रेडिट दिया गया और लाभार्थी की राशि को रद्द कर दिया गया।'
वहीं, मकबूल ने अपना पक्ष रखते हुए स्वीकार किया कि उसने FBR का पासवर्ड शेयर किया था। लेकिन, 2016 में लाहौर क्षेत्रीय कार्यालय में स्थानांतरित होने के बाद से एक शाखा प्रबंधक के निर्देशों का पालन कर रहा था। शहजाद, प्रबंधन की मदद करता था और उसे परफॉर्मेंस अवॉर्ड भी मिलता था। मेरे से पहले भी उसकी पासवर्ड तक पहुंच थी।'
मकबूल ने अफनी शिकायत में बताया कि, शहजाद ने 3 करोड़ का हाथों से लिखा वाउचर अपने पिता और भाभी के अकॉउंट में डाला। वह बैंक मैनेजर के निर्देशों पर फंड एकत्रित करता था। 2 साल मामले में जांच के बाद सारे मुस्लिम कर्मचारियों को बेगुनाह करार दे दिया गया, जबकि मुझे मौकरी से निकाल दिया गया। अब महामारी के समय में नौकरी ढूंढना बहुत ज्यादा मुश्किल है।
कैथलिक चर्च नेसनल कमीशन की ओर से इस मामले के वकील बेहराम खान ने पूरे केस को धार्मिक भेदभाव का मामला बताया है। उन्होंने कहा, हम इस केस को साल 2018 से देख रहे हैं। ये दुखद है कि यहां धार्मिक तौर पर अल्पसंख्यकों को आसानी से निशाना बनाया जाता है। मुस्लिम नागरिकों को बचाने के लिए मकबूल को सिर्फ बलि का बकरा बनाया गया।
गौर हो कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर प्रताड़ना का यह कोई पहला मामला नहीं है। हिंदुओं को लेकर तो पाकिस्तान में कुछ ज्यादे ही आक्रोश है, पाकिस्तान हिंदुओं को वहां से पूरी तरह खत्म करने में लगा हुआ है। यहां तक सिख समुदायों पर भी अत्याचार का मामला सामने आता रहा है। हिंदु, सिख और ईसाईयों पर पाकिस्तान का अत्याचार बढ़ता जा रहा है। हालात यह कि वहां सिर्फ 2 प्रतिशत आबादी ईसाइयों की बची है।