देश में कोरोना की दूसरी लहर ने हाहाकार मचा दिया है। इसी संकट को लेकर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई हुई। सर्वोच्च अदालत ने केंद्र सरकार से कोविड को लेकर नेशनल प्लान मांगा, साथ ही एक चिंता भी व्यक्त की। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सोशल मीडिया पर जो लोग अपनी परेशानियां जता रहे हैं, उनके साथ बुरा व्यवहार नहीं होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर कोई नागरिक सोशल मीडिया पर अपनी शिकायत दर्ज कराता है, तो इसे गलत जानकारी नहीं कहा जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश को यूपी सरकार के हालिया ऐक्शन से जोड़कर देखा जा रहा है जिसमें सोशल मीडिया ऑक्सिजन की गुहार लगाने वाले एक युवक के खिलाफ केस दर्ज किया गया था।
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली तीन जजों की पीठ ने अपने आदेश में कहा, 'हम यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि यदि नागरिक सोशल मीडिया और इंटरनेट पर अपनी शिकायत दर्ज कराते हैं तो इसे गलत जानकारी नहीं कहा जा सकता है।' सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा, 'हम नहीं चाहते कि किसी जानकारी पर रोकथाम या नियंत्रण के लिए कड़ी कार्रवाई की जाए। अगर ऐसी शिकायतों पर कार्रवाई के लिए विचार किया गया तो इसे कोर्ट की अवमानना माना जाएगा। सभी राज्यों और डीजीपी को एक कड़ा संदेश जाना चाहिए। किसी भी जानकारी पर शिकंजा कसना मूल आचरण के विपरीत है।'
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट की ये सख्त टिप्पणी उस वक्त आई है, जब हाल ही में उत्तर प्रदेश के अमेठी में एक व्यक्ति पर अफवाह फैलाने का केस दर्ज किया गया था। युवक ने सोशल मीडिया पर ऑक्सीजन की मदद मांगी थी, जबकि मरीज कोविड पॉजिटिव नहीं था। इसी के बाद अमेठी में उसपर केस दर्ज किया गया था। दरअसल शशांक ने 26 अप्रैल को ट्विटर के माध्यम से बॉलिवुड ऐक्टर सोनू सूद से अपने बीमार नाना के लिए ऑक्सिजन की गुहार लगाई थी। इसके बाद कई दूसरे पत्रकार भी इस वार्ता से जुड़ते चले गए। इसमें केंद्रीय मंत्री और अमेठी से सांसद स्मृति इरानी को भी टैग किया। स्मृति इरानी ने कुछ देर बाद ही जवाब दिया कि शशांक को कई बार फोन करने की कोशिश की गई लेकिन वह फोन नहीं उठा रहे हैं। सांसद ने पुलिस और अधिकारियों को भी मदद से निर्देश दिए।
कुछ देर बाद शशांक के नाना का निधन हो गया। इस पूरे घटनाक्रम में अमेठी के एसपी दिनेश सिंह ने कहा, '26 तारीख की रात करीब 8 एक ट्वीट सोशल मीडिया पर आया कि अमेठी में मेरे नाना के लिए ऑक्सिजन की आवश्यकता है। हमने और सीएमओ ने तत्काल शशांक से संपर्क करने की कोशिश की लेकिन उसका फोन न उठने की स्थिति में हमने इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से उसकी लोकेशन ट्रेस कर टीम भेजी। हमें लगा कि हो सकता है कि वह ऐसी कठिनाई में हो कि फोन न उठा पा रहा हो लेकिन कालांतर में जो तथ्य सामने आए कि शशांक के ये रिश्ते के नाना है। शशांक के नाना 88 वर्ष के थे। न उन्हें COVID था, न ऑक्सीजन की चिकित्सीय परामर्श थी। सिर्फ संसेशन पैदा करने के लिए इन्होंने ऐसा ट्वीट किया। जब टीम पहुंची तो ये घर पर सोते हुए मिले।'