'नेपाल में राजनीतिक उठापटक चल रही है। इस उठापठक में बाजी एक बार फिर PM KP Oli के हाथ लगी है। राष्ट्रपति बिद्या देवी भण्डारी ने ओली कैबिनेट की सिफारिशों के मुताबिक सदन को 30 दिनों के लिए स्थगित कर दिया है और ओली को कार्यवाहक प्रधानमंत्री बने रहने का आदेश दिया है।'
नेपाल का सियासी संकट के बीच सदन में विश्वास मत हासिल करने में नाकाम प्रधानमंत्री केपी ओली ने शाम को शीतमल निवास में राष्ट्रपति विद्या देबी भण्डारी से मुलाकात की है। इस मुलाकात के दौरान पीएम ओली ने राष्ट्रपति बिद्या देबी भण्डारी को कैबिनेट की सिफारिश सौंपी। इसमें राष्ट्रपति से सदन स्थगित करने की अपेक्षा की गई थी। राष्ट्रपति बिद्या देबी भण्डारी ने ओली कैबिेनेट की सिफारिश के अनुरूप सदन को 30 दिनों के लिए स्थगित कर दिया और ओली को कार्यवाहक प्रधानमंत्री बने रहने का आदेश दिया। इस तरह केपी शर्मा ओली विश्वास मत हारने के बावजूद नेपाल के प्रधानमंत्री बने रहेंगे।
इससे पहले ऐसा समझा जा रहा था कि गुरुवार को प्रचण्ड के नेतृत्व वाला नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (नेकपा) जनता समाजवादी पार्टी और नेपाल कांग्रेस मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश कर सकते हैं। इन तीनों दलों ने राष्ट्रपति को एक पत्र भेजकर संविधान के अनुच्छेद 76 (2) के तहत नई सरकार के गठन की प्रक्रिया शुरु करने का आग्रह किया है। इस गठबंधन का कहना कि उनके पास 139 सांसदों का समर्थन है। जो एक स्थाई सरकार देने के लिए पर्याप्त से अधिक है।
बहुमतको प्रधानमन्त्री नियुक्ति प्रक्रिया शुरु गर्न राष्ट्रपतिलाई कांग्रेस, माओवादी र जसपाको आह्वान
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इससे पहले सदन में पीएम ओली के विश्वास प्रस्ताव के पक्ष में 93 और विरोध में 124 सदस्यों ने वोट किया। 15 सासंद तटस्थ रहे। जसपा के तटस्थ रहने के ऐलान के बावजूद कुछ सदस्यों ने ओली के खिलाफ वोट किया। 271 सदस्यों वाले सदन में बहुमत के लिए 136 सदस्यों को वोट की आवश्यकता होती है।
ऐसा कहा जा रहा है कि नेकपा, नेपाली कांग्रेस और जसपा के मौजूदा सदस्यों की संख्या भी 136 के जादुई आकंड़े से कुछ दूर हैं। व्हिप के उल्लंघन के आरोप में कुछ सांसदों की सदस्यता पर भी सवाल है। जिस पर सदन अध्यक्ष को फैसला लेना है। संविधान के अनुच्छेद 76(2) नेपाल के राष्ट्रपति को अधिकार देता है कि वो सदन में सबसे बड़े दल या स्थाई सरकार देने वाले गठबंधन को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित कर सकते हैं। फिर उस गठबंधन या दल के नेता को 30 दिन के भीतर सदन में बहुमत साबित करना होता है। अगर फिर भी बहुमत साबित नहीं होता है तो राष्ट्रपति 76(3) के तहत सदन को भंग कर नए चुनाव की घोषणा कर सकते हैं।