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क्रिकेट को बदल कर रख देगा बांस का बल्ला, ’स्वीट स्पॉट’ को लकेर चर्चा, जानिए इसकी खासियत

Cricket Bat

क्रिकेट में काफी बदलाव आया है। खेल के सामाने बदले तो क्रिकेट खेलने का ढंग भी बदल गया। अब के बल्ले इतने मजबूत होते हैं कि एज भी मैदान की बाहर जाती है। क्रिकेट के बल्ले में फिलहाल कश्मीरी विलो और इंग्लिश विलो का प्रयोग होतो है। हालांकि अब चर्चा में बांस का बल्ला है। इंग्लैंड की कैंब्रिज यूनिवर्सिटी ने एक रिसर्च के बाद बांस के बने बल्ले इस्तेमाल करने का सुझाव दिया है। उनका कहना है कि  बांस के बने बल्ले का इस्तेमाल कम खर्चीला होगा और उसका ’स्वीट स्पॉट’ भी बड़ा होगा।

बल्ले के बीच के हिस्से को स्वीट स्पॉट कहते हैं। जहां से शॉट लगने पर गेंद मैदान के बाहर जाती है। बांस के बल्ले में स्वीट स्पॉट बीच के हिस्से से थोड़ा नीचे, लेकिन सबसे निचले हिस्से से ऊपर होता है और यहां से लगाया गया शॉट दमदार होता है। इस शोध को दर्शील शाह और बेन टिंकलेर डेविस ने किया है।

शाह ने कहा, ‘एक बांस के बल्ले से यॉर्कर गेंद पर चौका मारना आसान होता है, क्योंकि इसका स्वीट स्पॉट बड़ा होता है। यॉर्कर पर ही नहीं, बल्कि हर तरह के शॉट के लिए यह बेहतर है।’उनका कहना है कि इंग्लिश विलो के लिए लकड़ी का आपूर्ति में समस्या है। इसके पेड़ को तैयार होने में 15 साल लगते हैं। वही बांस के बल्ले के लिए पेड़ 4 5 साल में तैयार हो जाएंगे। शाह ने कहा कि बांस सस्ता है और काफी मात्रा में उपलब्ध है। यह तेजी से बढ़ता है और टिकाऊ भी है। बांस को उसकी टहनियों से उगाया जा सकता है और उसे पूरी तरह तैयार होने में सात साल लगते हैं।

नियम बनाने वाली संस्था ने नकारा

हालांकि मेरिलबोन क्रिकेट क्लब ( एमसीसी) ने बांस के बने बल्ले इस्तेमाल करने का सुझाव यह कहकर खारिज कर दिया कि मौजूदा नियमों के तहत यह अवैध है। इसने कहा कि उसके नियमों संबंधी उप समिति की बैठक में इस मसले पर गौर किया जायेगा। कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के दर्शील शाह और बेन टिंकलेर डेविस द्वारा किये गए अध्ययन में कहा गया था कि बांस के बने बल्ले किफायती होने के साथ अधिक मजबूत होते हैं।

इस पर एमसीसी ने 10 मई को एक बयान में कहा, ‘इस समय नियम 5 . 3 . 2 कहता है कि बल्ले लकड़ी के ही होने चाहिए। बांस चूंकि घास का एक रूप है तो उसके बल्ले इस्तेमाल करने के लिए नियम में बदलाव करना होगा। इसके साथ ही बांस को शामिल करने के लिए कानून में बदलाव करना होगा। यदि इसे लकड़ी मान भी लिया जाए तो भी वर्तमान नियमों के हिसाब से इस तरह के बैट अवैध होंगे क्योंकि बल्ले पर लेमिनेशन की परमिशन नहीं होती है।’ एमसीसी ने कहा कि उसे सावधानी से सुनिश्चित करना होगा कि खेल में बल्ले और गेंद में संतुलन बना रहे।