चीन में कोरोना संक्रमण के केस कम सामने आ रहे है, लेकिन प्रतिबंध को लेकर यहां कड़े नियम लागू है। वहीं भारत की बात करें तो यहां कोरोना की दूसरी लहर पहले से ज्यादा खतरनाक रुप लेकर आई है। फिर भी यहां लागू प्रतिबंध नियम चीन के मुकाबले कमजोर है। ऐसा हम नहीं बल्कि ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय ने ग्लोबल स्ट्रिंगरेंसी इंडेक्स के जरिए कहा है। यह इंडेस्क अलग-अलग देशों में संक्रमण से निपटने के लिए लगाए गए प्रतिबंधों को लेकर तैयार किया है।
ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के ग्लोबल स्ट्रिंगरेंसी इंडेक्स के मुताबिक, चीन में इस वक्त 100 प्रतिशत में से 78.24 प्रतिशत सख्तियां लागू हैं। चीन में कोरोना के मामलों में मार्च के बाद से ही सुधार आने लगा है। चीन में हर दिन औसतन पांच नए मरीज ही मिल रहे है। हालांकि बीच-बीच में चीन के कुछ हिस्सों में कोरोना के केस ज्यादा आने लगे थे, जिस पर चीन ने बिना समय गंवाए कड़े प्रतिबंध लगाकर काबू पा लिया। चीन ने 81% कड़े प्रतिबंध कर पिछले साल फरवरी, मई, सितंबर और नवंबर में कोरोना के बढ़ते मामलों पर काबू पाया था।
वहीं भारत की बात करें तो ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के ग्लोबल स्ट्रिंगरेंसी इंडेक्स के मुताबिक, भारत में लागू प्रतिबंधों की 100 प्रतिशत में से 73.61% है। ये स्तर 19 अप्रैल से बना हुआ है। भारत में अब हर दिन करीब औसतन चार लाख मामले सामने आ रहे है। ग्राफ के दिखाया गया है कि भारत ने 10 मार्च से लेकर 2 अप्रैल तक देश में संक्रमण से निपटने के लिए लागू प्रतिबंधों में जबरदस्त ढील दी गई थी, तब प्रतिबंधों की कठोरता का स्तर 57.87% था जो कि पिछले साल 25 मार्च को लागू हुई। 15 फरवरी से संक्रमण की दर बढ़ने लगी थी, लेकिन भारत में आधे मार्च के महीने तक भी पाबंदियां नहीं लगायी गईं।
ऑक्सफोर्ड के मुताबिक, भारत उन चुनिंदा देशों में से एक है, जहां राष्ट्रीय लॉकडाउन की कठोरता 100% थी। भारत में 25 मार्च से 19 अप्रैल तक ये सर्वाधिक कठोर तालाबंदी लागू रही। इसके बाद 22 अप्रैल से 29 सितंबर तक 96% से लेकर 75% तक की कठोरता वाली पाबंदियां लागू रहीं। इसके बाद पाबंदियों में लगातार ढील देना जारी रहा, जिसका परिणाम हम आज देख रहे हैं। आपको बता दें कि ऑक्सफोर्ड नौ इंडीकेटर के आधार पर ये पता लगाता है कि किसी देश में लागू प्रतिबंधों में किस स्तर की कठोरता है। इसमें स्कूलबंदी, कार्यस्थल बंदी, यात्रा प्रतिबंध, सार्वजनिक आयोजनों पर पाबंदी, घर तक सीमित रहना, सार्वजनिक यातायात समेत नौ मानकों को शामिल किया जाता है।