कोरोना के खिलाफ लड़ाई में सारे भारतीय एकजुट हो गए हैं। इस मुश्किल वक्त में हर कोई अपनी योगदान देना चाह रहा है। अब स्पेश एजेंसी इसरो ने भी कोरोना के खिलाफ कमान संभाल लिया है। इसरो के विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र ने कहा है कि “उसने तीन अलग-अलग प्रकार के वेंटिलेटर और एक ऑक्सीजन कंसंट्रेटर का विकास किया है।”
विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र के निदेशक एस. सोमनाथ ने कहा कि,“डिजाइन और विशेषताओं के आधार पर, हमने उन्हें नाम दिया है, प्राण, वायु और स्वस्थ्य। ये तीनों उपयोगकर्ता के अनुरूप हैं। यह पूरी तरह से स्वचालित और टच-स्क्रीन के साथ ही, सभी सुरक्षा मानकों को पूरा करते हैं।” निदेशक ने आगे कहा कि, “डॉक्टरों और अन्य विशेषज्ञों ने इसकी प्रभावकारिता की जांच करने के बाद पुष्टि की है कि यह तीनों अंतरराष्ट्रीय स्तर की मशीनें है।”
बता दें कि, प्राण, अम्बु बैग के स्वचालित संपीड़न द्वारा रोगी को सांस लेने वाली गैस पहुंचाने के लिए है, स्वस्त्य को बिजली के बिना काम करने के लिए डिज़ाइन किया गया है और वेव कम लागत वाला वेंटिलेटर है, जो व्यावसायिक रूप से उपलब्ध उच्च-अंत वेंटिलेटर के बराबर है। निदेशक एस. सोमनाथ ने कहा कि, “इस प्रणाली की परिकल्पना एक दोहरे मोड वेंटिलेटर के रूप में की गई है जो अस्पताल से मेडिकल एयर/ऑक्सीजन के साथ या परिवेशी ऊर्जा के साथ काम कर सकते हैं।”
विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र ने एक मेडिकल ऑक्सीजन कंसंट्रेटर भी विकसित किया है जिसे शावास कहा जाता है। इसके बारे में निदेशक ने कहा कि, “यह एक मिनट में दो रोगियों के लिए पर्याप्त प्रति मिनट 10 लीटर समृद्ध ऑक्सीजन की आपूर्ति करने में सक्षम है,” उन्होंने आगे कहा कि, “Pressure Swing Adsorption (PSA) के माध्यम से आस-पास की वायु में से नाइट्रोजन गैस को अलग करके ऑक्सीजन गैस की मात्रा को बढ़ाता है।”