बिहार में ब्लैक फंगस के लगभग 200 मरीज मिलने के बाद नितीश कुमार सरकार ने कोरोना की तरह ही ब्लैक फंगस को महामारी घोषित कर दिया है। अब बिहार के किसी भी सरकारी या निजी अस्पताल में ब्लैक फंगस का संदिग्ध या पुष्ट मामला सामना आता है तो उसकी सूचना सिविल सर्जन के माध्यम से एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम विभाग को देनी होगी।
सरकार की इस अधिसूचना के बाद राज्य के सभी निजी एवं सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में म्यूकोरमाइकोसिस से संबंधित जांच, इलाज एवं प्रबंधन के मामले में केंद्र और राज्य सरकार के दिशा-निर्देशों का पालन करना अनिवार्य होगा। स्वास्थ्य विभाग के निदेशक प्रमुख इस रोग के संबंध में समय-समय पर जांच, इलाज एवं प्रबंधन को लेकर यथोचित आदेश जारी कर सकेंगे।
अगर कोई भी संस्थान उक्त प्रावधानों का उल्लंघन करता है, तो ऐपिडमिक डिजीज एक्ट की धारा-3के तहत दंडनीय अपराध दर्ज कर कार्वाई की जाएगी। बिहार में कोरोना संक्रमण के बाद बढ़ रहे ब्लैक फंगस के अबतक 167मरीजों की पहचान की जा चुकी है। इनमें से 70मरीज राज्य के विभिन्न सरकारी और निजी अस्पतालों में भर्ती हैं। जबकि शेष मरीजों को दवा देकर डॉक्टर की निगरानी में घर भेजा गया है।
बीते दिन आईजीआईएमएस में ब्लैक फंगस के दो नए मरीज आये। जबकि एम्स पटना में ब्लैक फंगस के 40मरीज ओपीडी में आए थे, इनमें से 8मरीजों को भर्ती किया गया। शेष को जांच कराने की सलाह दी गई है। यहां तीस बेड का ब्लैक फंगस वार्ड पूरी तरह से फुल हो गया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि एक नई बीमारी ब्लैक फंगस को राज्य सरकार ने भी महामारी घोषित की है। आईजीआईएमएस एवं एम्स पटना के साथ-साथ कई सरकारी एवं निजी अस्पतालों में ब्लैक फंगस की दवा उपलब्ध कराई गई है।