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Juhi Chawla ने भारत में 5जी टेक्नोलॉजी के खिलाफ दायर किया मुकदमा, 2 जून को होगी अगली सुनवाई

photo courtesy Google

बॉलीवुड एक्ट्रेस जूही चावला ने पिछले कई सालों से मोबाइल फोन की 5जी तकनीक को लेकर चिंता जता रही है। एक्ट्रेस का कहना है कि लोगों की सेहत पर रेडियोफ्रिक्वेंसी के संभावित हानिकारक प्रभावों का विश्लेषण किए बगैर इसे लागू किया गया है। जोकि गलत है। इसको लेकर अब जूही चावला ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। जूही चावला ने अब भारत में 5जी टेक्नोलॉजी को लागू करने के खिलाफ एक याचिका दिल्ली हाई कोर्ट में दायर की है जिसकी पहली सुनवाई आज हुई।

अब इस मामले की अगली सुनवाई 2 जून को होगी। दरअसल, जूही चावला की ओर से दाखिल इस याचिका में मांग की है कि 5जी टेक्नोलॉजी को लागू किए जाने से पहले इससे जुड़े तमाम तरह के अध्ययनों पर बारीकी से गौर किया जाए और फिर उसके बाद ही इस टेक्नोलॉजी को भारत में लागू करने के बारे में विचार किया जाए।

जूही चावला ने अपनी इस याचिका में भारत सरकार के दूरसंचार मंत्रालय से आम लोगों, तमाम जीव-जंतुओं, वनपसस्तियों और पर्यावरण पर 5जी टेक्नोलॉजी के लागू किये जाने से पड़ने वाले असर से जुड़े अध्ययन को बारीकी से कराने और ऐसे रिपोर्ट्स के आधार पर भी इसे भारत में लागू करने और नहीं करने को लेकर कोई फैसला करने की अपील की है।

जूही चावला ने अपने बयान में कहा- 'हम उन्नत किस्म के तकनीक को लागू किये जाने के खिलाफ नहीं है। इसके उलट हम टेक्नोलॉजी की दुनिया से निकलनेवाले नवीनतम प्रोडक्ट्स को भरपूर लुत्फ उठाते है, जिनमें वायरलेस कम्युनिकेशन का भी समावेश है। हालांकि इस तरह के डिवाइजों को इस्तेमाल करने को लेकर हम हमेशा ही असमंजस की स्थिति में रहते है क्योंकि वायर फ्री गैजेट्स और नेटवर्क सेल टावर्स से संबंधित हमारी खुद की रीसर्च और अध्ययन से ये पुख्ता तौर पर पता चलता है कि इस तरह की रेडिएशन लोगों के स्वास्थ्य और उनकी सुरक्षा के लिए बेहद हानिकारक है।'

जूही चावला के प्रवक्ता ने एक आधिकारिक बयान में कि भारत में 5जी टेक्नोलॉजी को लागू किये जाने से पहले आरएफ रेडिएशन से मानव जाति, महिला, पुरुषों, व्यस्कों, बच्चों, शिशुओं, जानवरों, जीव-जंतुओं, वनस्पतियों और पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभावों को लेकर अच्छे से अध्ययन किया जाए और इससे संबंधित किये गये अथवा किये जानेवाले तमाम रिपोर्ट्स को सार्वजनिक किया जाए। प्रवक्ता का कहना है कि इस तरह के अध्ययन से स्पष्ट किया जाना जरूरी है कि क्या 5जी टेक्नोलॉजी भारत की मौजूदा और आने वाली पीढ़ी के लिए सुरक्षित या नहीं और इसके बाद ही इसे लागू करने को लेकर विचार किया जाए।