चीन सरकार के खिलाफ कोई भी कदम उठाएगा तो उसे काल कोठरी में बंद कर दिया जाएगा या फिर हमेसा के लिए गायब हो जाएगा। और इसका अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि जैक मां ने जब चीन का विरोध किया तो उनका हाल क्या हुआ। साथ ही सब कई चीनी वैज्ञानिकों ने दावा किया कि कोरोना वायरस चीन की ही वुहान लैब में बनाया गया तो उन्हें भी रातोंरात गायब कर दिया गया। अब भारत के साथ गलवान घाटी झड़प में मारे गए चीन सेना के सैनिकों की संख्या पर संदेह जताने वाले एक लोकप्रिय चीनी ब्लॉगर को चीनी सरकार ने आठ महीने की जेल की सजा सुनाई है।
चीन सरकार ने भारत और चीन सैनिकों के बीच खूनी झड़प का सच सामने लाने वाले ब्लॉगर को 8 महीने जेल की सजा सुनाई है। चीन सरकार के एक्शन के बाद उसे जेल हुई है। ब्लॉगर ने इस झड़प में 40 चीनी सैनिकों के हताहत होने का खुलासा किया था, जबकि चीन सरकार इसे मानने को तैयार नहीं है। चीन सरकार ने ब्लॉगर को चीनी नायकों और शहीदों को बदनाम करने का दोषी माना है।
नए सुरक्षा कानून के तहत सजा पाने वाले पहले व्यक्ति
चीन ने मार्च में एक नया सुरक्षा कानून बनाया था। चीन के सीना वीबो माइक्रोब्लॉगिंग अकाउंट के ब्लॉगर चाउ जिमिंग (Chou Ziming) इस कानून के तहत सजा पाने वाले पहले व्यक्ति हैं। उनके 25 लाख से ज्यादा फॉलोवर हैं। नानजिंग जियानये पीपुल्स कोर्ट ने 38 साल के इस ब्लॉगर को सोमवार को सजा सुनाते समय कहा कि वो अपने इस अपराध के लिए प्रमुख ऑनलाइन प्लेटफार्म और नेशनल मीडिया पर 10 दिन के अंदर सार्वजनिक माफी भी मांगे। चाउ पहले पत्रकार रह चुके हैं। उनके पास कानून की डिग्री है।
क्या लिखा था ब्लॉगर ने
चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के पीपुल्स डेली अखबार ने कोर्ट की कार्यवाही के बारे में लिखा कि चाउ ने 19 फरवरी को दो पोस्ट की थीं। इसके लिए उन्हें दोषी माना गया। चाउ पर आरोप है कि उन्होंने जवानों की वीरता पर सवाल उठाए। चीन ने माना था कि गलवान घाटी की हिंसा में उसने सिर्फ 4 जवान खोए। जबकि चाउ ने यह संख्या 40 बताई थी। उन्हें 1 मार्च को गिरफ्तार किया गया था।
चीनी सैन्य अधिकारियों ने सीमा पर संघर्ष के छह महीने बाद फरवरी तक हताहत होने वाले अपने सैनिकों की संख्या को छिपाए रखा। चाउ को नानजिंग पुलिस ने एक मार्च को गिरफ्तार किया था। गिरफ्तारी के बाद अधिकारियों ने एक ऑनलाइन वीडियो पोस्ट किया था। जिसमें ब्लॉगर को उसी दिन अपना अपराध स्वीकार करते हुए दिखाया गया था।