नेपाल से भारत के संबंधों में कुछ क्षणों के लिए शिथिलता क्या आई अपराधियों की पौ बारह हो गई। यूपी-बिहार में अपराध करने के ज्यादातर अपराधी सीमा पार कर नेपाल में ऐशो-आराम से जिंदगी बशर करते थे। संबंधों में फिर मजबूती आने के साथ अपराधियों लिए स्वर्ग बने नेपाल में भी छिपने की जगह नहीं मिलेगी। भारत और नेपाल के अधिकारियों के बीच हुई बात-चीत के बाद यह तय किया गया है कि अपराधियों की फोटो और व्यक्तिगत दोनों ओर के पुलिस स्टेशन आपस में शेयर करेंगे और लोकल इंटेलिजेंस यूनिट्स के सहयोग से अपराधियों को पकड़ने में मदद करेंगे।
ऐसी जानकारी मिली है कि 50 हजार के 12इनामी बदमाशों में से चार नेपाल में हैं। यह भारतीय क्षेत्रों में आपराधिक वारदातों को अंजाम देते रहे हैं। वर्तमान में चार बदमाश नेपाल में शरण लिए हुए हैं। गोरखपुर जोन के एडीजी अखिल कुमार ने बताया कि मित्र राष्ट्र होने के कारण नेपाल पुलिस के अधिकारियों को यह बताना जरूरी है कि जोन से भागे हुए बदमाश कहीं नेपाल में अपराध न कर रहे हों। उन्होंने कहा कि भारत-नेपाल खुली सीमा होने के कारण कहीं अन्य बदमाश नेपाल न चले गए हों, इस आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि हर तीन-तीन माह पर नेपाल के पुलिस अधिकारियों से मीटिंग में सीमाई क्षेत्र के अपराध पर चर्चा होती है। इस बार की चर्चा जोन के इनामी बदमाशों पर होगी। गोरखपुर जोन सीमा से नेपाल के रूपनदेही जिले का मधुबेनिया, मझगांवा, बेलाटारी, कपिलवस्तु जिले के महराजगंज, कृष्णानगर, तौलिहवा सहित 16थाने लगते हैं। एडीजी का कहना है कि पहली कोशिश होगी कि नेपाल के इन थानों में बदमाशों की फोटो पहुंच जाए। वहां के जरिये नेपाल में जगह-जगह उनकी फोटो पहुंच जाएगी। इससे नेपाल सीमाई क्षेत्र में घुसते ही बदमाश लोगों की नजर में आ सकेंगे।
नेपाल पुलिस के अधिकारियों के साथ प्रत्येक तीन माह पर बैठक होती हैं। इसमें अपराध को लेकर दोनों देशों के अधिकारी आपस में चर्चा करते हैं। सूचनाओं का आदान प्रदान होता है। इस बार इनामी बदमाशों को लेकर चर्चा की जाएगी। बदमाशों की फोटो नेपाल अधिकारियों को दी जाएगी। ताकि वहां के थानों में फोटो चस्पा हो सके। उन्हें ढाई लाख के इनामी राघवेंद्र की भी फोटो भी दी जाएगी। हो सकता है कि वह नेपाल में ही छिपा हो। इससे यदि वह नेपाल में अशांति फैलाएं तो पुलिस उन पर नजर रखेगी।