हर साल 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है, ताकि लोग योग के महत्व और होने वाले स्वास्थ्य लाभ को लेकर जागरुक हो सके। इन योग के साथ अगर ज्योतिष शास्त्र को मिला दिया जाए तो फल दोगुना मिल सकता है। ग्रहों की स्थिति की वजह से हमारी जिंदगी में परेशानियां और खुशियां आती है। ग्रह मजबूत हो तो जिंदगी शांति और सुखी से बीतती है, अगर कमजोर हो तो तमाम कष्टों का आना लगा रहता है। इन ग्रहों को मजबूत बनाने के लिए योगासन की मदद ली जा सकती है। योग दिवस 2021 के मौके पर जानिए योग आसनों का संबन्ध नवग्रहों से संबंध-
सूर्य के दुष्प्रभावों से बचने के लिए और इसे मजबूत करने के लिए आप रोजाना सूर्य नमस्कार करें। सूर्य नमस्कार करने से शरीर के करीब-करीब हर अंग की एक्सरसाइज हो जाती है। इससे आपकी कुंडली में सूर्य मजबूत होता है, जिससे समाज में मान-प्रतिष्ठा बढ़ती है और आपका वर्चस्व बढ़ता है। साथ ही आपका शरीर भी फिट रहता है।
अगर आपका चंद्रमा कमजोर स्थिति में है, तो लोगों की मानसिक स्थिति तनावपूर्ण होती है। मूड स्विंग्स की समस्या होती है, सर्दी, जुकाम और सांस की परेशानियां हो जाती है और भावात्मक रूप से व्यक्ति काफी कमजोर हो जाता है। चंद्रमा को मजबूत करने के लिए नियमित रूप से भस्त्रिका प्राणायाम करें। साथ ही ओम का जाप करें।
मंगल की कमजोर स्थिति वैवाहिक जीवन में समस्याएं उत्पन्न कराती है। इससे आपसी टकराव की स्थितियां बन जाती है। व्यक्ति को क्रोध बहुत आता है। कुंडली में मंगल के नकारात्मक प्रभाव समाप्त करने के लिए व्यक्ति को पद्मासन में बैठकर योग करना चाहिए। इसके अलावा बटरफ्लाई और मयूरासन करना चाहिए।
बुध की कमजोर स्थिति बौद्धिक क्षमता को प्रभावित करती है। व्यक्ति की निर्णय क्षमता को कमजोर कर देती है, साथ ही त्वचा संबन्धी रोग होने का खतरा रहता है। बुध के अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए भस्त्रिका प्राणायाम, बालासन, उत्तनासन और शीर्षासन करना चाहिए।
करियर में सफलता नहीं मिल पा रही है या विवाह में विलंब हो रहा है तो इसकी वजह आपकी कुंडली में गुरू की कमजोर स्थिति भी हो सकती है। गुरू की वजह से ही मोटापा, डायबिटीज, लिवर और पेट की समस्याएं परेशान करती है। गुरू के अशुभ प्रभावों से बचने के लिए सूर्य नमस्कार, कपाल भांति और सर्वांगासन वगैरह करना चाहिए।
जिस व्यक्ति का शुक्र कमजोर होता है, उसे जीवन में यौन परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। इसकी वजह से गर्भधारण में परेशानी होती है, साथ ही भौतिक सुखों में कमी आती है। इन स्थितियों से निपटने के लिए धनुरासन, हलासन, भुजंगासन, गरुड़ासन, सेतुबंधासन और त्रिबंध और मूलबंध प्राणायाम करने चाहिए।
हड्डियों और जोड़ों की परेशानी की वजह अक्सर शनि होता है। इसके अलावा शनि की स्थिति कमजोर होने पर मानसिक तनाव, अवसाद, चिड़चिड़ापन पैदा होता है। कई बार व्यक्ति झूठे मुकदमें में भी फंस सकता है। शनि के दुष्प्रभावों को कम करने के लिए भ्रामरी, कपालभाति और मंडूक आसन करने से लाभ मिलता है।
आठवां ग्रह राहु है। राहु व्यक्ति के दिमाग पर असर डालता है और उसे भ्रमित करता है, सही निर्णय लेने से रोकता है। बेवजह डर को बढ़ाता है। राहु के दुष्प्रभावों से बचने के लिए भ्रामरी प्राणायाम करना चाहिए और ओम का जाप करना चाहिए।
केतु पेट की समस्याएं और त्वचा की समस्याएं पैदा करता है। केतु के प्रभाव से ही त्वचा काली पड़ जाती है। इसके दुष्प्रभाव से बचने के लिए शीर्षासन और कपालभाति करने से लाभ होता है।