आज निर्जला एकादशी है। निर्जला एकादशी सभी एकादशियों में सबसे कठिन मानी जाती है। इस एकादशी व्रत को भीमसेन भी किया था, इसलिए इसके भीमसेनी एकादशी भी कहते है। निर्जला एकादशी के दिन भक्त जल की एक बूंद ग्रहण किये बिना पूरा दिन व्रत रहता है। अगले दिन शुभ मुहूर्त में पारण करने के बाद ही अन्न-जल ग्रहण करता है। मान्यता है कि निर्जला एकादशी व्रत करने से सभी एकादशियों का पुण्य लाभ मिलता है और पूजा मुहूर्त में भगवान विष्णु की विधि विधान से आराधना की जाती है।
भगवान विष्णु की कृपा से समस्त पापों का नाश होता है। व्यक्ति को वर्ष भर की सभी एकादशी के फल का पुण्य लाभ होता है। मृत्यु के बाद विष्णु लोक में स्थान प्राप्त होता है। कहा जाता है कि निर्जला एकादशी व्रत को महाभारत काल में भीमसेन ने किया था और उनको स्वर्गलोक की प्राप्ति हुई थी। यह भी मान्यता है कि निर्जला एकदशी के दिन व्रत रखने और इन चीजों को दान करने से मोक्ष की प्राप्ति तो होती है। साथ ही लोगों की सभी मनोकामनाएं भी पूर्ण होती है। आइये जानें दान की जाने वाले इन चीजों के बारे में-
ठंडी चीजों का दान– निर्जला एकादशी ज्येष्ठ महीने में पड़ती है। ज्येष्ठ का मास अत्यंत गर्म होता है जिसके चलते जल का विशेष महत्त्व होता है। मान्यता है कि इसलिए इस एकादशी को शीतलता प्रदान करने वाली चीजों को दान करने से बहुत पुण्य फल की प्राप्ति होती है। लोग इस दिन ठंडा शरबत पिलाते है।
जूतों का दान– निर्जला एकादशी के दिन जूतों का दान करना उत्तम माना जाता है। इसके अलावा गरीब, जरूरतमंद ब्राह्मणों को अन्नदान, छाता दान, बिस्तर दान, वस्त्र दान करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। इस दिन चाहें तो आप चने और गुड़ का भी दान कर सकते है। यह भी बहुत शुभ फलदायी होता है।
ये चीजें भी करें दान– निर्जला एकादशी पर किसी ब्राह्मण, गरीब और जरूरतमंद व्यक्ति को अन्न, वस्त्र, बिस्तर और छाता दान करना चाहिए। इन चीजों का दान करना उत्तम माना जाता है। इसके साथ आप गुड़ और चने का भी दान कर सकते है।
तुलसी पूजन- निर्जला एकादशी के दिन तुलसी के पेड़ के पास घी का दीपक जला कर भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करना चाहिए। इस दिन ऐसा करने से घर में धन, यश और वैभव बना रहता है। नौकरी और व्यवसाय में प्रगति होती है।