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किसान आंदोलन के 7 महीने: पंचकूला में राजभवन की ओर बढ़ा किसानों का हुजूम, पूरा शहर छावनी में तब्दील, दिल्ली में भी अलर्ट

किसान आंदोलन के 7 महीने,

किसान आंदोलन के 7 महीने होने पर किसान आज फिर से देश भर के राजभवन को घेराव कर रहे हैं। इसी क्रम में कृषि कानूनों के खिलाफ के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराने के लिए भारी संख्या में किसान आज पंचकूला में राजभवन की तरफ मार्च कर रहे हैं। किसान राज्यपाल से मिलकर उन्हें अपनी मांगों का ज्ञापन देंगे। स्थिति को देखते हुए सड़कों पर भारी पुलिस फोर्स तैनात है। पूरे पंचकूला शहर को छावनी में तब्दील कर दिया गया है।

पंचकूला के डीसीपी मोहित हांडा ने कहा कि हमारे पास किसी भी स्थिति से निपटने के लिए पर्याप्त पुलिस बल है। हम शांति से स्थिति से निपटने की कोशिश करेंगे। हमें उम्मीद है कि आज के सभी कार्यक्रम बिना किसी (उल्लंघन) कानून-व्यवस्था की स्थिति के आयोजित किए जाएंगे।

किसान नेता युद्धवीर सिंह दिल्ली में उपराज्यपाल के घर के पास 8-10 लोगों के साथ पहुँचे। पुलिस ने उन्हें राजभवन नहीं जाने दिया, बल्कि उन्हें अपने साथ ले गई। दिल्ली के उपराज्यपाल के घर के बाहर दिल्ली पुलिस ने किलेबंदी कर दी है। ताकि किसान वहां तक पहुँच ही न पाएं। उपराज्यपाल के घर जाने वाले सभी रास्तों पर भारी संख्या में पुलिस और अर्धसैनिक बलों की तैनाती की गई है। इसके अलावा कंटीले तारों से  बैरिकेडिंग की गई है। ट्रैक्टर रोकने के लिए रास्तों पर ट्रक और डम्फर खड़े कर दिए गए हैं।

भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत ने कहा कि केंद्र के तीन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान शनिवार को विभिन्न राज्यों के राज्यपालों को ज्ञापन सौंपकर इन कानूनों को वापस लिये जाने की मांग करेंगे। उन्होंने कहा कि कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन के सात महीने पूरे होने के अवसर पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को संबोधित ये ज्ञापन दिए जाएंगे।

दिल्ली मेट्रो ने किसान आंदोलन की आशंका के मद्देनजर येलो लाइन पर शनिवार को चार घंटे के लिए तीन मुख्य स्टेशन बंद रखने का निर्णय लिया है। दिल्ली और हरियाणा के बीच सिंघू बॉर्डर के अलावा टीकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर भी किसान आंदोलन कर रहे हैं। राष्ट्रीय राजधानी में भी शनिवार को विरोध प्रदर्शन हो सकता है इसलिए दिल्ली मेट्रो रेल निगम और पुलिस ने एहतियात के तौर पर सुरक्षा कदम उठाए हैं।

बता दें कि केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शनकारी किसान पिछले साल 26 नवंबर से दिल्ली और हरियाणा की सीमाओं पर डेरा डाले हुए हैं। वे इन तीनों कानूनों को रद्द करने और फसल के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी देने के लिए एक नया कानून लाने की मांग कर रहे हैं। इन विवादास्पद कानूनों पर बने गतिरोध को लेकर हुई किसानों और सरकार के बीच कई दौर की वार्ता बेनतीजा रही थी। कृषि कानूनों को रद्द कराने पर अड़े किसान इस मुद्दे पर सरकार के साथ आर-पार की लड़ाई का ऐलान कर चुके हैं। किसानों ने सरकार से जल्द उनकी मांगें मानने की अपील की है। वहीं सरकार की तरफ से यह साफ कर दिया गया है कि कानून वापस नहीं होगा, लेकिन संशोधन संभव है।