परिवार के लोगों से मिलकर घर बनता है, लेकिन क्या हो जब परिवार में ही कलह उत्पन्न हो रही हो। तमाम कोशिशों के बावजूद भी ये कलह दूर होने का नाम नहीं लेती। इसके पीछे कई वजहों में से एक वास्तु दोष हो सकता है। वास्तु हमारे जीवन में बेहद महत्वपूर्ण है। इसलिए आज हम आपको घर से जुड़े वास्तु शास्त्र के बारे में बताएंगे। आमतौर पर देखा होगा कि लोग घर की दिशा, दरवाजे, रसोई, बाथरूम बनवाते वक्त तो वास्तु के नियमों का पालन करते हैं लेकिन छत को लेकर वास्तु के नियमों की अनदेखी कर जाती है, क्योंकि इससे नकारात्मक बढ़ती है। आज हम आपको घर की छत को लेकर वास्तु के नियम बताएंगे।
जिन मकानों में सपाट छत होती है उन्हें इस बात विशेष ध्यान रखना चाहिए कि उनका ढलान किस तरफ है। ढलान दक्षिण-पश्चिम से उत्तर-पूर्व की तरफ होना चाहिए, जिनका पश्चिम या दक्षिणमुखी मकान हो उन्हें किसी वास्तुशास्त्री से मिलकर यह तय करना चाहिए कि ढलान किस तरफ हो।
कभी भी तिरछी छत न बनाएं इससे डिप्रेशन और स्वास्थ्य संबंधी अन्य समस्याएं उत्पन्न होने लगती है।
छत को हमेशा साफ-सुथरा रखें। छत पर पुराना सामान, कूड़ा नहीं पड़ा रहना चाहिए। अगर आपकी छत साफ सुथरी नहीं है तो नकारात्मक शक्तियां सक्रिय हो सकती है।
वास्तु विज्ञान के अनुसार दक्षिण पश्चिम यानी नैऋत्य कोण अन्य दिशा से ऊंचा और भारी होना शुभ फलदायी होता है। छत पर पानी का टैंक इस दिशा में लगाने से अन्य भागों की अपेक्षा यह भाग ऊंचा और भारी हो जाता है। घर की समृद्धि के लिए दक्षिण-पश्चिम दिशा में पानी का टैंक लगाना चाहिए।
छत पर पौधे भी बहुत से लोग रखते है। छत पर उत्तर-पूर्व एवं पूर्व दिशा में छोटे पौधे जैसे तुलसी, गेंदा, लिली, हरीदूब, पुदीना, हल्दी आदि लगाने चाहिए। उत्तर दिशा में नीले रंग के फूल देने वाले पौधे लगाने चाहिए। भारी गमलों में ऊंचे पेड़ों को सदैव छत पर दक्षिण या पश्चिम दिशा में लगाना उचित माना गया है। पश्चिम दिशा में सफेद रंग के फूलों के पौधे जैसे चांदनी, मोगरा, चमेली आदि को लगाने चाहिए।