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Tata Group के साथ मिलकर करें मोटी कमाई, कंपनी दे रही इन्वेस्टर्स को सुनहरा मौका, लाभ उठाने के लिए पढ़े ये रिपोर्ट

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कोरोना वायरस ने लोगों को सबसे ज्यादा आर्थिक चोट पहुंचाई है। ऐसे में लोगों के लिए टाटा म्यूचुअल फंड ने 'टाटा फ्लोरिंग रेट फंड' की घोषणा की है। सबसे पहले हम आपको बताते है कि फ्लोटिंग रेट फंड क्या होता है ?….  फ्लोटिंग रेट फंड का मतलब ऐसे फंड से है जिनमें ब्‍याज की दर फिक्‍स नहीं होती है। ये ब्‍याज दर समय-समय पर बदलती रहती है। ये बेंचमार्क रेट से जुड़ी होती है, इसलिए इसे नियमित अंतराल पर बदला जाता है। इस तरह बेंचमार्क रेट में होने वाले बदलाव का असर फ्लोटिंग रेट बॉन्‍ड की ब्‍याज दर पर भी पड़ता है।

ऐसे बॉन्‍ड ब्‍याज दर के जोखिम को कम करते है। दरों के बढ़ने पर ये बॉन्‍ड ज्‍यादा रिटर्न देते हैं। फ्लोटिंग रेट फंड या तो फ्लोटिंग रेट इंस्ट्रूमेंट्स या फिक्स्ड कूपन इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश करते हैं, जिन्हें स्वैप का उपयोग करके फ्लोटिंग रेट में बदल दिया जाता है। आपको अब बताते है कि आखिर क्‍यों करें टाटा फ्लोटिंग रेट फंड में निवेश ?

टाटा म्यूचुअल फंड ने बेंचमार्क रेट्स के मुताबिक यील्‍ड में बदलाव करने वाला फ्लोटिंग रेट फंड लॉन्च कर दिया है। ये न्यू फंड ऑफर  5 जुलाई 2021 को बंद हो रहा है। यह एक ओपन एंडेड डेट स्कीम है, जो फ्लोटिंग रेट इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश करती है। इसमें फिक्स्ड रेट इंस्ट्रूमेंट्स को स्वैप या डेरिवेटिव के जरिये फ्लोटिंग रेट एक्सपोजर में तब्‍दील किया जाता है। इसके जरिये निवेशकों को तगड़ी कमाई का मौका मिल सकता है।

कंपनी एनएफओ के जरिये स्थिर रिटर्न जुटाने की कोशिश करेगी। इसमें फ्लोटिंग रेट डेट, फ्लोटिंग रेट रिटर्न के लिए स्वैप किए गए फिक्स्ड रेट डेट इंस्ट्रूमेंट्स शामिल है। इस फ्लोटिंग रेट फंड का लक्ष्य कॉरपोरेट्स या सरकार की ओर से जारी फ्लोटिंग रेट सिक्योरिटीज में अपने कॉर्पस का कम से कम 65 फीसदी निवेश करना है। साथ ही इसका लक्ष्‍य फिक्स्ड इंटरेस्ट सिक्योरिटीज को डेरिवेटिव के जरिये फ्लोटिंग में तब्‍दील करना है।

इस बारे में टाटा एसेट मैनेजमेंट के सीनियर फंड मैनेजर अखिल मित्तल ने कहा कि हमने आगामी दर चक्र के मुताबिक डेट श्रेणी में अपना नया फंड टाटा फ्लोटिंग रेट फंड लॉन्च किया है। यह अन्य डेट फंडों या उत्पादों का अच्छा विकल्प उपलब्‍ध कराएगा। एक रिपोर्ट के मुताबिक, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया मौजूदा हालात को देखते हुए अगले 6 से 9 महीने तक दरों में कोई राहत नहीं देगा। साथ ही कहा जा रहा है कि आरबीआई रिवर्स रेपो रेट में धीरे-धीरे बढ़ोतरी ही करेगा।