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7th Pay Commission: मंहगाई भत्ते का ये है फॉर्मूला, घर बैठे खुद लगाइये अपनी सैलरी का हिसाब

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केंद्रीय कर्मचारियों  का इंतजार खत्म हो चुका है। करोड़ों कर्मचारियों को अब सितंबर महीने से बढ़ी हुई सैलरी मिलेगी। बताया जा रहा है कि सरकार जनवरी एवं जुलाई 2020 और जनवरी 2021 के महंगाई भत्ते की किश्त, इस वर्ष जुलाई की किश्त के साथ जोड़ कर सितंबर तक भुगतान करने पर सहमत हो गई है। जिसके चलते अब सितंबर से सैलरी बढ़कर मिलेगी। आपको बता दें कि केन्द्र सरकार ने केंद्रीय कर्मचारियों के महंगाई भत्‍ते (DA) पर लगी रोक को हटाने का फैसला लिया है। साथ ही सरकार पेंशनरों के लिए महंगाई राहत पर लगी रोक को हटाने के लिए भी तैयार हो गई है।

केन्द्रीय कर्मचारी संगठन के महामंत्री शिवगोपाल मिश्रा ने बताया कि पिछले 26 एवं 27 जून को नार्थ ब्लॉक में नेशनल काउसिंल की बैठक हुई। इस बैठक में खई नेता भी शामिल थे। इस बैठक में लगभग 28 महत्वपूर्ण मुददों पर विस्तार से चर्चा हुई और निर्णय लिया गया है कि सभी केन्द्रीय कर्मचारियो को पिछले डेढ वर्षों से उनकी महंगाई भत्ते की जनवरी 2020, जुलाई 2020 एवं जनवरी 2021 की तीन किश्तें, जिन्हें सरकार ने फ्रीज कर दिया था, उन्हें जुलाई 2021 में देय किश्त के साथ जोडकर जुलाई एवं अगस्त 2021 के एरियर सहित सितम्बर 2021 के माह में भुगतान किया जाएगा।

केंद्रीय कर्मचारियों  को 17 फीसदी डीए मिल रहा है। लेकिन, पिछले साल जनवरी 2020 में 4 फीसदी का इजाफा हुआ था। फिर जून 2020 में महंगाई भत्ता 3 फीसदी बढ़ा था। इसके अलावा जनवरी 2021 में भी डीए 4 फीसदी बढ़ा है। अब महंगाई भत्ता 28 फीसदी पर पहुंच जाएगा। इससे सीधे तौर पर 52 लाख से ज्यादा कर्मचारियों और 60 लाख पेंशनर्स को सीधा फायदा होगा। कर्मचारियों की सैलरी में बंपर इजाफा होगा। वहीं, पेंशनर्स की पेंशन में भी बढ़ोतरी हो जाएगी।

महंगाई भत्ता क्या है ?–  महंगाई भत्ता ऐसा पैसा है, जो सरकारी कर्मचारियों को उनके रहने-खाने के स्तर को बेहतर बनाने के लिए दिया जाता है। ये पैसा इसलिए दिया जाता है, ताकि महंगाई बढ़ने के बाद भी कर्मचारी के रहन-सहन के स्तर में कोई फर्क न पड़े। ये पैसा सरकारी कर्मचारियों, पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों और पेंशनधारकों को दिया जाता है। इसकी शुरुआत दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान हुई थी। उस वक्त सिपाहियों को खाने और दूसरी सुविधाओं के लिए तनख्वाह से अलग यह पैसा दिया जाता था। उस वक्त इसे खाद्य महंगाई भत्ता या डियरनेस फूड अलाउंस कहते थे। भारत में मुंबई से 1972 में सबसे पहले महंगाई भत्ते की शुरुआत हुई थी। इसके बाद केंद्र सरकार सभी सरकारी कर्मचारियों को महंगाई भत्ता दिया जाने लगा।

महंगाई भत्ते का कैलकुलेशन कैसे होता है?– महंगाई भत्ते की कैलकुलेशन के लिए एक फॉर्मूला है। केंद्रीय कर्मचारियों के लिए ये फॉर्मूला है [(पिछले 12 महीने के ऑल इंडिया कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (AICPI) का औसत – 115.76)/115.76]×100. अब अगर  पब्लिक सेक्टर यूनिट्स (PSU) में काम करने वाले लोगों के महंगाई भत्ते की बात की जाए तो इसके कैलकुलेशन का तरीका यह है- महंगाई भत्ता प्रतिशत= (बीते 3 महीनों के उपभोक्ता मूल्य सूचकांक का औसत (बेस ईयर 2001=100)-126.33))x100

क्या होता है ऑल इंडिया कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (AICPI)?– भारत में दो तरह की महंगाई होती है। एक रिटेल यानी खुदरा और दूसरा थोक महंगाई होती है। रिटेल महंगाई दर आम ग्राहकों की तरफ से दी जाने वाली कीमतों पर आधारित होती है। इसको कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) भी कहते है।

महंगाई भत्ते पर भी देना होता है टैक्स?– महंगाई भत्ता पूरी तरह टैक्‍सेबल होता है। भारत में आयकर नियमों के तहत इनकम टैक्स रिटर्न में महंगाई भत्ते के बारे में अलग से जानकारी देना होती है। मतलब आपको जितनी रकम महंगाई भत्‍ते के नाम पर मिलती है वह टैक्‍सेबल है और उस पर टैक्स चुकाना होगा।