बलोचिस्तान के मारगोट चोखोबी इलाके से अगवा किए गए 6 चीनी श्रमिकों का तीन दिनों से कोई अता-पता नहीं है। बीजिंग ने पाकिस्तान के पीएम इमरान खान को जबरदस्त लताड़ लगाई है और कहा है कि किसी भी उसके अपह्रत नागरिकों की सकुशल वापसी करवाई जाए। इमरान खान ने भी चीनी मजदूरों की रिहाई के लिए फौज की अतिरिक्त टुकडियां बलोचिस्तान भेजी हैं। बताया तो यह भी जाता है कि बीजिंग से खुफिया अधिकारियों का एक दल ग्वादर पहुंच चुका है। ये दल पाकिस्तानी फौज या खुफिया अधिकारियों से अलग अपने ऑपरेशन को सफल बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
चीन के खुफिया अधिकारियों का दल बीएलए के सशस्त्र गुरिल्लाओं की टोह लेने की कोशिश कर रहे हैं ताकि श्रमिकों की रिहाई के लिए बातचीत की टेबल पर आने से पहले ही उनका खात्मा कर दिया जाए और सैन्य दबाव बनाकर श्रमिकों की रिहाई करवाई जा सके। बीएलए गुरिल्ला लड़ाकों को चीन की इस हरकत का अंदेशा हो गया है। इसलिए उन्होंने एक वीडियो मैसेज भी जारी किया है। जिसमें उन्होंने कहा है कि अगर बलोचिस्तान से चीनी कंपनियां वापस नहीं गई तो ऐसी वारदातों और भी होंगी।
हालांकि, बीएलए के लड़ाकों ने कहा है कि वो चीनी मजदूरों की वापसी कर सकते हैं लेकिन उन्हें यूनाईडेट नेशंस से यह आश्वासन चाहिए कि चीनी कंपनियां ग्वादर का इलाका छोड़कर वापस चली जाएंगी। बीएलए के लड़ाकों के इस वीडियो मैसेज के बावजूद पाकिस्तान या चीन ने यूनाईटेड नेशंस से इस बारे में कोई संपर्क नहीं किया है।
ध्यान रहे, सीपेक के तहत बलूचिस्तान में चीन ने दूरसंचार कंपनियों का जाल बिछाना शुरू कर दिया है। पाकिस्तान इसके सहयोग से बलूचों की जासूसी भी कर रहा है। इसके साथ ही ग्वादर बंदरगाह पर चीन का पूरी तरह अधिकार होने से भी बलूचों में आक्रोश है। इधर बलूचिस्तान मानवाधिकार परिषद और वायस आफ बलूच मिसिंग पर्सन के चेयरमैन नसरुल्लाह बलूच ने एक अलग बयान में अगवा मजदूरों को मानवीय आधार पर छोड़ने की मांग की है।
बता दें कि पाकिस्तान सरकार के खिलाफ बलूचिस्तान के लोगों का गुस्सा लगातार सातवें आसमान पर है। बलूच नेशनल पार्टी के अध्यक्ष अख्तर मिंगल यह बात कई बार कह चुके हैं कि बलूचिस्तान 1947से पहले तक आजाद था। इस पर पाकिस्तान ने अवैध कब्जा जमाया हुआ है और बलूच लोग लगातान अपनी आजादी के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं। बलूचों के खात्मे के लिए पाकिस्तान की सरकार ने कई बार सेना के जरिए कई ऑपरेशन चलाए जिनमें सैकड़ों बेगुनाहों का खून बहाया गया। सैकड़ों को जेलों में ठूंस दिया गया, जिनका आज तक कुछ पता नहीं चल सका है।