कोरोनाकाल के दौरान सरकार की नीतियों को ठीक से लागू न करने और देश के हालात की सही तस्बीर सामने न रखने से प्रधानमंत्री मोदी का पारा सातवें आसमान पर है। प्रधानमंत्री मोदी ने सरकार के भ्रष्ट और नाकाबिल अफसर और मातहतों को सबक सिखाने का बीड़ा उठा लिया है। प्रधानमंत्री के इस रुख से हड़कम्प मचा हुआ है। प्रधानमंत्री के मूड की भनक लगते ही केंद्र सरकार के तमाम अफसर फाइलों का पेट भरने और अपनी नौकरी बचाने की जुगत में लग गये हैं।
ऐसी जानकारी मिली है कि पीएमओ ने कार्मिक मंत्रालय से सभी विभागों को ऐसे अफसरों और कर्मचारियों की सर्विस रिकॉर्ड की समीक्षा करने को कहा है। इस आदेश के तहत इन अफसर और मातहतों पर लगे भ्रष्टाचारों के आरोपों की जांच होगी और इसके बाद जो कर्मचारी अयोग्य और भ्रष्ट पाए जाएंगे, उनसे वसूली और उन्हें रिटायर भी किया जा सकता है।
इसके अलावा सरकारी सेवा में 30 साल या 50 से 55 साल की उम्र पूरी कर चुके कर्मचारियों के सर्विस रिकॉर्ड की गहन जांच करने के आदेश दिए गये हैं। आदेश में इन कर्मचारियों की अयोग्यता और इन पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों की भी जांच होगी।
ध्यान रहे, सरकारी अफसरों और कर्मियो के सर्विस रिकॉर्ड की समीक्षा फंडामेंटल रूल के तहत की जाती है, जिसमें सरकार को सार्वजनिक हित में सरकारी कर्मचारियों को रिटायर करने का पूरा अधिकार है।
इस आदेश में कहा गया है, यह स्पष्ट किया गया है कि इन नियमों के तहत सरकारी कर्मचारियों की समय से पहले सेवानिवृत्ति एक दंड नहीं है। यह ‘कंपल्सरी रिटायरमेंट’ से अलग है, जो केंद्रीय सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण और अपील) नियम, 1965 के तहत निर्धारित दंडों में से एक है।”
कार्मिक मंत्रालय ने सभी विभागों से इस तरह की समीक्षा करने के लिए एक रजिस्टर बनाए रखने के लिए भी कहा है। मंत्रालय ने कहा, “50-55 साल के कर्मचारी या 30 साल की सेवा पूरी करने के वाले सरकारी सेवकों का एक रजिस्टर रखा जाना चाहिए। मंत्रालय -विभाग- संवर्ग में एक वरिष्ठ अधिकारी हर तिमाही की शुरुआत में इस रजिस्टर की जांच करेगा।.