स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, HDFC बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, IDFC फर्स्ट बैंक समेत देश के कई बड़े बैंकों ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के खिलाफ देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट में आवाज उठाई है। इस सभी बैंकों ने मिलकर रिजर्व बैंक के उस निर्देश का विरोध किया है जिसके अंतर्गत सेंट्रल बैंक ने RTI के तहत फाइनेंशियल सेंसिटिल डेटा की जानकारी शेयर करने के लिए कहा था।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में माना कि RTI के तहत निरिक्षण रिपोर्ट का खलासा किया जा सकता है। मामले की अगली सुनवाई अब 22 जुलाई को होगी। जून में HDFC बैंक और एसबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में इससे संबंधित याचिका दाखिल की थी। उस वक्त सुप्रीम कोर्ट ने रिजर्व बैंक के निर्देश पर तत्काल प्रभाव से अंतरिम ऑर्डर जारी करने से मना कर दिया था।
HDFC Bank और SBI ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की थी कि वह रिजर्व बैंक के उस आदेश पर स्टे लगाए जिसके तहत उसने बैंकों को यह निर्देश जारी किया है कि RTI एक्ट के तहत फाइनेंशियल सेंसिटिव डेटा को भी शेयर करना होगा। बैंकों का कहना है कि इससे उनका बिजनेस प्रभावित होगा और कस्टमर की जानकारी भी कंप्रोमाइज हो जाएगी। हालांकि, कोर्ट ने पहले रिजर्व बैंक को ऐसी जानकारी शेयर करने से रोक दिया था, लेकिन बाद में कोर्ट का खुद का यह फैसला बदल गया क्योंकि 28 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने जयंतीलाल एन मिश्रा के जजमेंट को रिव्यू से रोक दिया था।
वहीं, जुलाई के महीने में ही सुप्रीम कोर्च ने पंजाब नेशनल बैंक और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की उस याचिका को अस्वीकार कर दिया था जिसमें RBI द्वारा डिफॉल्टर की लिस्ट जारी करने की नोटिस पर स्टे लगाने को कहा गया था। HDFC बैंक का कहना है कि यह नियम प्राइवेट बैंकों पर नहीं लागू होता है। बैंक का कहना है कि मान लीजिए टाटा, बिरला जैसे ग्रुप इलेक्ट्रिक कार प्रोजेक्ट के लिए फंड की तलाश में हैं। ऐसे में इसकी जानकारी शेयर करना गलत होगा। बैंक ने यह भी कहा कि एक सामान्य व्यक्ति को बैंकों के इंस्पेक्शन रिपोर्ट का क्या करना है। प्राइवेसी के अधिकार के तहत मैं अपने कस्टमर और क्लाइंट संबंधी संवेदनशील जानकारी कैसे शेयर कर सकता हूं।