आज कालाष्टमी व्रत है। हर माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को कालाष्टमी व्रत रखा जाता है। सावन के महीने में कालाष्टमी व्रत का महत्व अधिक बढ़ जाता है, क्योंकि भगवान शिव के अंश से ही कालभैरव की उत्पत्ति हुई थी। इसलिए कालाष्टमी को भैरवाष्टमी भी कहा जाता है। इस दिन व्रत रखने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं। सावन में कालाष्टमी पर भगवान शिव, काल भैरव की पूजा से नकारात्मकता दूर होती है। मान्यता है कि इस दिन पूजा करने से नकारात्मक शक्तियों और शत्रुओं से छुटकारा मिलता है।
भगवान भैरव को प्रसन्न करने के लिए ये उपाय जरुर करें-
काल भैरव को प्रसन्न करने के लिए भगवान भैरव की प्रतिमा के आगे सरसो के तेल का दीपक जलाएं और श्रीकालभैरवाष्टकम् का पाठ करें।
आज यानी कालाष्टमी के दिन 21 बिल्वपत्रों पर चंदन से 'ॐ नम: शिवाय' लिखकर शिवलिंग पर चढ़ाएं। इस विधि से पूजन करने पर भगवान भैरव प्रसन्न होते है।
कालाष्टमी के दिन भगवान भैरव को प्रसन्न करने के लिए काले कुत्ते को मीठी रोटी खिलाएं। अगर काला कुत्ता न हो तो किसी भी कुत्ते को खिलाकर यह उपाय कर सकते हैं।
कालाष्टमी के दिन भैरव देव की कृपा पाने के लिए किसी भिखारी को वस्त्र दान करें। यह उपाय करने से आपको कार्यक्षेत्र में तरक्की में मिलेगी।
कालाष्टमी के दिन से लेकर 40 दिनों तक लगातार काल भैरव का दर्शन करें। इस उपाय को करने से भगवान भैरव प्रसन्न होंगे और आपकी मनोकामना को पूर्ण करेंगे।
कालाष्टमी का व्रत रखने वाले भक्त भगवान काल भैरव को खिचड़ी, तेल, गुड़ का भोग लगाएं।
व्रत में भगवान भैरव की षोड्षोपचार सहित पूजा करनी चाहिए। इस व्रत में रात्रि के समय जागरण कर भगवान शिव एवं माता पार्वती की कथा का श्रवण करना चाहिए। भैरव कथा का भी श्रवण करना चाहिए। भगवान भैरव को प्रसन्न करने के लिए उनके वाहन श्वान को भोजन कराना चाहिए। इस व्रत में व्रती को सिर्फ फलाहार ग्रहण करना चाहिए। शुद्ध मन से इस व्रत का पालन करने से हर कार्य में सफलता प्राप्त होती है। इस व्रत में मां दुर्गा की उपासना का भी विधान है। मां दुर्गा की पूजा से हर तरह का रोग दूर हो जाता शिव चालीसा और भैरव चालीसा का पाठ करें।