विराट कोहली के कप्तानी वाली भारतीय टीम इस वक्त इंल्गैंड दौरे पर है, जहां पर इंडिया और इंग्लैंड के बीच पांच मैचों की टेस्ट सीरीज का पहला मैच नॉटिंघम के ट्रेंट ब्रिज मैदान पर खेला जा रहा है। इस बीच विराट कोहली ने अपने खेल जीवन में आए उतार-चढ़ाव के लेकर बड़ा खुलासा किया है। दरअसल, 2014 में इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के उतार-चढ़ाव भरे दौर को याद करते हुए कहा है कि, उनका प्रदर्शन सवालों के घेरे में आ गया था, उन्होंने 39 के टॉप स्कोर के साथ चार टेस्ट मैचौं में केवल 13 के औसत से रन बनाए थे। उन्होंने कहा कि, तब एमएस धोनी की अगुवाई वाली टीम सीरीज हार गई थी।
सोनी सिक्स द्वारा दिखाए गए एक इंटरव्यू में कोहली ने 'स्काई स्पोर्ट्स' से कहा कि, लंबे समय तक इस स्तर पर खेलते हुए आप थोड़े असुरक्षित और भयभीत हो जाते हो। आप लोगों को साबित करना चाहते हो कि आप विभिन्न परिस्थितियों में कितना अच्छा खेलते हो। सचिन तेंदुलकर की मदद के बाद विराट मिशेल जॉनसन जैसे गेंदबाजों का सामना करने के लिए पूरी तरह से निर्भीक बन गये थे। इसके बाद ऑस्ट्रेलिय में टेस्ट सीरीज में 692 रन बनाए थे।
उस ब्रेक के दौरान पता चला कौन साथ है कौन नहीं
कोहली ने आगे कहा कि, ईमानदारी से कहूं तो ऑस्ट्रेलिया दौरे से पहले मैं हर विदेशी दौरे को इंजीनियरिंग की परीक्षा के जैसे ले रहा था कि मुझे किसी तरह से पास होना है और मुझे लोगों को दिखाना है कि मैं भी इस स्तर पर खेल सकता हूं। उस ब्रेक के दौरान उन्हें नहीं पता कि कौन उनके शुभचिंतक थे और कौन नहीं। इसके आगे उन्होंने कहा कि, 'जब आपका खराब दौर होता है तो कोई भी आपकी मदद नहीं करेगा'। तो उनके पास बस एक ही विकल्प था मेहनत करते रहना। इसलिए मैं घर गया थोड़ा निराश था, लेकिन उस समय एक अच्छी चीज हुई, मुझे महसूस हुआ कि कौन मेरे साथ है और कौन नहीं। विराट कोहली ने अपने अभ्यास सत्र में यह सोचकर अभ्यास किया कि वह पूर्व ऑस्ट्रेलियाई तेज गेंदबाज मिशेल जॉनसन का सामना कैसे करेंगे जो उस समय अपनी बेहतरीन फार्म में थे।
सचिन तेंदुलकर ने की मदद
इसगे आगे विराट कोहली ने कहा कि, मैं मुंबई भी गया, मैंने सचिन तेंदुलकर को फोन किया, उनकी सलाह मंगी। मैंने कहा कि मैं अपने केल सही करना चाहता हूं, मैं जानना चाहता हूं कि इस स्तर पर रन कैसे बनाए जाएं। इसके आगे उन्होंने कहा कि, आप लोगों को दिखाने के लिए टेस्ट क्रिकेट नहीं खेल सकते। आप अपनी टीम को जीत दिलाने के लिए यह गेम खेलते हो। इसलिए मेरे दिमाग में था कि मैं ऑस्ट्रेलिया जाकर इन खिलाड़ियों के खिलाफ रन कैसे बनाऊंगा।
उन्होंने आगे कहा कि, ऑस्ट्रेलिया दौरे तक जब तक मैं घर में रहा मैं हर दिन यही सोचता रहा, भले ही मैं जानतता था कि मैं जॉनसन को कैसे हिट कर रहा हूं और मैं इन गेंदबाजों की गेंदों को पूरे पार्क में भेज रहा हूं। इसके आगे टीम इंडिया के कप्तान ने कहा कि, जब मैं दौरे के लिए पहुंचा तो मैं पूरी तरह से निर्भीक हो गया था और चीजें सही होती चली गईं। बता दें कि, इसी मैच के बाद महेंद्र सिंह धोनी ने टेस्ट क्रिकेट से संन्यास ले लिया था, जिसके बाद कोहली को टीम इंडिया का कमान सौंपा गया।