टोक्यो ओलंपिक में साइक्लिंग का गोल्ड जीतने वाले चाईनीज एथलीट का मैडल छीना जा सकता है। चीन के एथलीटों पर प्रतिबंध भी लगाया जा सकता है। यह सख्त कदम ओलंपिक के नियमों का उल्लंघन किए जाने पर उठाया जा सकता है। चीन ने अपनी गंदी हरकतों से ओलंपिक को भी नहीं बख्शा। आखिरी दिन चीन के एथलीटों ने ऐसी हरकत कर दी जिससे हर कोई शर्मिंदा हो गया।
दरअसल, ओलंपिक खेलों में कोई भी देश या कोई भी खिलाड़ी जाति-वर्ग-वर्ण-रंग या सांप्रदायिक-धार्मिक प्रतिरूप या ऐसा कोई अन्य चिह्न-पोशाक का उपयोग नहीं कर सकते हैं जो किसी में भी हीन भवाना भरते हों या कोई अंतर दिखाते हों। चीन के खिलाड़ी ओलंपिक के अनुशासन और खेल भावना के विपरीत मेडल सेरेमनी के दौरान पोडियम पर माओ के बैज लगाकर पहुंचे।
इस समय चीन पूरी दुनिया में अपनी हठधर्मिता और छोटे देशों को अपनी कर्जनीति में फंसाकर उनकी जमीनों पर कब्जा कर रहा है। दुनिया के एक दर्जन से ज्यादा देश चीन की इस कुटिल नीति का शिकार हो चुके हैं। चीन की कम्युनिस्ट दुनिया में कथित साम्यवादी सर्वहारा शासन पद्य़ति लागू करने का पक्षधर है। चीन की कम्युनिस्ट सरकार, विरोध करने वाले देशों को पूंजीपतियों की सरकार बताकर निरोध करता है।
चीन में राजशाही को खत्म कर माओत्से तुंग ने कम्युनिस्ट शासन की स्थापना की थी। चीन की सरकार माओ को ही अपना आदर्श मानती है और प्रयास करती है कि दुनिया के बाकी देश भी माओ को अपना आदर्श मानें। ओलंपिक में इस बार चीन ने सबसे ज्यादा गोल्ड मैडल जीत कर टैली में सबसे ऊपर है। दरअसल, अमेरिका और जापान को चीन दिखाना चाहता था कि कम्युनिस्ट शासन श्रेष्ठ है।
ऐसा माना है कि चीन ने अपने एथलीटों की पोशाक पर माओ के बैज लगाकर अमेरिका और जापान को क्वाड के खिलाफ अपने आक्रोश को जगजाहिर भी किया है। इस मामले में आईओसी यानी इंटरनेशल ओलंपिक कमेटी ने एक अनुशासन कमेटी को नियुक्त कर दिया है। ये कमेटी जांच के बाद अपनी रिपोर्ट देगी। चीन के एथलीटों के दोषी पाए जाने पर न केवल उनके पदक छीने जा सकते हैं बल्कि उनपर प्रतिबंध भी लगाया जा सकता है।