अफगानिस्तान में तालिबान का कब्जा जारी है। तालिबान ने देश के दूसके सबसे बड़े शहर कंधार पर कब्जा कर लिया है। लोगों में दहशत है, इंसानियत शर्मार है। अफगान सेना नाकाम है। इस बीच अफगानिस्तान के चारकिंट जिले की गर्वनर सलीमा मजारी ने तालिबानी आतंकियों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। जिस समय अफगानिस्तान में महिलाओं के हक को लेकर लड़ाई चल रही है, तब सलीमा अपने दम पर अपने इलाके के लोगों की ढाल बन गई हैं। उन्होंने अपनी खुद की एक ऐसी फौज खड़ी कर ली है कि तालिबान भी उन पर हमला करने से पहले हजार बार सोच रहा है।
कौन है लेडी गवर्नर सलीमा मजारी?
अफगानिस्तान की सलीमा मजारी चारकिंत ज़िले की महिला गर्वनर हैं, जिनसे लोहा लेना शायद ही तालिबान के लिए आसान हो। वह किस तरह अपनी फौज को मजबूत कर रही हैं, इसकी बानगी लगातार देखने को मिल रही है। पुरुष प्रधान अफगानिस्तान के एक जिले की महिला गवर्नर माजरी तालिबान से लड़ने के लिए मर्दों की फौज जुटाने निकली हैं। पिकअप की फ्रंट सीट पर खुद सलीमा माजरी मजबूती से बैठी रहती हैं। वह उत्तरी अफगानिस्तान के ग्रामीण इलाकों से गुजरती हैं और अपनी फौज में स्थानीय लोगों को शामिल करती रहती हैं। उनकी गाड़ी की छत पर लगे लाउडस्पीकर में एक मशहूर स्थानीय गाना बजता रहता है।गाड़ी पर गाना बज रहा था, "मेरे वतन।।। मैं अपनी जिंदगी तुझ पर कुर्बान कर दूंगा"। इन दिनों सलीमा अपने इलाके के लोगों से यही करने को कह रही हैं। बता दें कि मई की शुरूआत से ही तालिबान अफगानिस्तान के ग्रामीण इलाकों में उमड़ा चला आ रहा है।
सलीमा के खिलाफ तालिबान का गुस्सा सिर्फ इसलिए नहीं है क्योंकि उन्होंने उसके खिलाफ जंग छेड़ दी है, बल्कि ये विवाद तो काफी पुराना है। दरअसल सलीमा हजारा समुदाय से ताल्लुक रखती हैं और इस समुदाय के ज्यादातर लोग शिया बिरादरी से आते हैं, ऐसे में तालिबानियों का इनके साथ हमेशा से छत्तीस का आंकड़ा रहा है। सलीमा ने कहा कि पहले तो उन्हें ऐसा लगा कि महिला गर्वनर होने की वजह से शायद लोग उन्हें स्वीकार नहीं करेंगे। लेकिन चारकिंट जिले के लोगों ने अच्छा रिस्पॉन्स दिया और मुझे बहुत सपोर्ट किया।