मलेशिया में एक बार फिर से सत्ता पलट हुआ है, 18 महीने से कम समय तक प्रधानमंत्री का पद संभालने के बाद प्रधानमंत्री ने मोहिउद्दीन यासीन ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। 2020 में प्रधानमंत्री बने यासीन ने सोमवार को मलेशिया के नरेश को इस्तीफा सौंप दिया। इससे पहले उन्होंने यह स्वीकार किया था कि शासन करने के लिए आवश्यक बहुमत का समर्थन उन्हें हासिल नहीं है।
विज्ञान मंत्री खैरी जमालुद्दीन ने इंस्टाग्राम पर लिखा कि, मंत्रिमंडल ने नरेश को इस्तीफा सौंप दिया है इससे पहले यासीन सोमवार को मलेशिया नरेश से मिलने राजमहल पहुंचे थे। इसके तुरंत बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया। उप खेल मंत्री वान अहमद फयहसल वान अहमद कमाल ने फेसबुक पर पोस्ट लिखी जिसमें मुहिउद्दीन के नेतृत्व और सेवा के लिए उनके प्रति आभार प्रकट किया।
कोरोना महामारी से जूझ रहे देश में अब राजनीतिक संकट भी खड़ा हो गया है। नेताओं के बीच प्रधानमंत्री पद के लिए होड़ शुरू हो गई है और उप प्रधानमंत्री इस्माईल साबरी समर्थन जुटा रहे हैं। उन्होंने इस्तीफा ऐसा समय में दिया है जब महामारी से ठीक से नहीं निपट पाने को लेकर जनता में आक्रोश है। पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा संक्रमण दर वाले देशों में से मलेशिया एक है।
खबरों की माने तो, राष्ट्रयी पुलिस प्रमुख, निर्वाचन आयोग के अध्यक्ष और अटॉर्नी जनरल को महल में बुलाया गया था। इसके बाद मुहिउद्दीन वहां पहुंचे थे, उनकी सरकार बहुत कम बहुमत पर चल रही थी औऱ गठबंधन के सबसे बड़े दल 12 से अधिक सांसदों के समर्थन वापस लेने के बाद यह सरकार अंततः गिर गई। इसके असाला यूनाइटेड मलय नेशनल ऑर्गेनाइजेशन के दो मंत्रियों ने भी इस्तीफा दे दिया।
मलेशिया में अब सबसे बड़े विपक्षी गठबंधन ने अपने नेता अनवर इब्राहिम को प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में नामित किया है लेकिन तीन दलों के इस गठबंधन के पास केवल 90 सांसद हैं जबकि सरकार बनाने के लिए 111 सांसदों की जरूरत है।