Hindi News

indianarrative

Petrol-Diesel को लेकर बड़ा अपडेट- वित्त मंत्री Nirmala Sitharaman ने बताई कीमतें कम होंगी या बढ़ेंगी…

Petrol-Diesel को लेकर बड़ा अपडेट

पेट्रोल औऱ डीजल की कीमतें इस वक्त आसमान छू रही हैं, ऐसे में आम आदमी तेल की लगातार बढ़ती कीमतों से काफी परेशान है। यहां तक की पेट्रोल की कीमतें तो सेंचुरी लगा चुकी हैं और कई शहरों में 110 रुपए प्रति लीटर हो गई हैं या फिर इससे भी ऊपर। ऐसे में लोग सरकार से आस लगाए बैठे हैं कि तेल के दामों में कटौती की जाए ताकी इससे थोड़ी राहत मिल सके। इस बीच वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से बाताय है कि तेल की कीमतें कम होंगी या बढ़ेंगी।

कांग्रेस सरकार द्वारा लिए गए फैसले की वजह से तेल की कीमतों में आई बढ़ोतरी

वित्‍त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कटौती नहीं किए जाने की वजह बताई। उन्‍होंने कहा कि ईंधन की आसमान छूती कीमतों के लिए पूर्व की कांग्रेसनीत संप्रग सरकार जिम्‍मेदार है। वित्त मंत्री ने कहा कि, यूपीए सरकार ने पेट्रोल-डीजल की कीमतों को कम करने के लिए 1.44 लाख करोड़ रुपए ऑयल बॉन्ड्स जारी किए। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने यूपीए सरकार के इस्तेमाल किए गए गलत तरीके का इस्तेमाल कर ईंधन की कीमतों में कटौती नहीं कर सकती है। उन्होंने कहा कि यूपीए सरकार की ओर से जारी किए गए ऑयल बॉन्ड्स का बोझ मोदी सरकार के ऊपर आ गया है, इसलिए हम पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कटौती नहीं कर पा रहे हैं।

वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा कि लोग पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों को लेकर चिंतित हैं। लोगों का चिंतित होना भी सही है, हालांकि जब तक केंद्र और राज्य चर्चा नहीं करते हैं, तब तक पेट्रोल और डीजल की कीमतें कम करने को लेकर कोई समाधान नहीं निकल पाएगा। इसके आगे उन्होंने कहा कि, पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी में किसी तरह की कटौती नहीं की जाएगी।

निर्मला सीतारमण ने आगे कहा कि, सरकारी खजाने पर यूपीए सरकार की ओर से जारी किए गए ऑयल बॉन्ड्स के लिए किए जा रहे ब्याज भुगतान का भारी बोझ है। सरकार ने अभी तक केवल ऑयल बॉन्ड पर बीते पांच साल में 70,195.72 करोड़ रुपये के ब्याज का भुगतान किया है। साल 2026 तक हमें अभी 37 हजार करोड़ रुपये का भुगतान करना है।

इसके साथ ही उन्होंने बताया कि, ब्याज भुगतान के बाद भी 1.30 लाख करोड़ से अधिक का मूलधन बकाया है। अगर हम पर ऑयल बॉन्ड्स का भार नहीं होता तो हम ईंधन पर उत्पाद शुल्क कम करने की स्थिति में होते।